नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को उद्योगपति गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी पर 'चीन के नागरिकों के साथ मिलकर शेल कंपनियां चलाने' का आरोप लगाया और कहा कि सरकार को उनकी मदद करने की जगह पूरे मामले की जांच करानी चाहिए।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अपने सवालों की श्रृंखला हम अडाणी के हैं कौन की उप श्रृंखला दिख रहा है विनोद के तहत प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी से कुछ प्रश्न कर रहे हैं। रमेश ने दावा किया, अडाणी समूह के चीन के साथ पुराने संबंध है। एक चीनी नागरिक चांग चुंग-लिंग (उर्फ लिंगो-चांग) विनोद अडाणी के साथ अडाणी समूह की कई कंपनियों में निदेशक रहा है और पनामा पेपर्स में भी उसका नाम आया था।
दिसंबर 2017 में दक्षिण कोरिया द्वारा पनामा में पंजीकृत तेल टैंकर कोटि को उत्तर कोरियाई टैंकर में पेट्रोलियम उत्पादों को स्थानांतरित करने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों के उल्लंघन के लिए जब्त कर लिया था।
उन्होंने सवाल किया, अडाणी परिवार के साथ चांग चुंग-लिंग के संबंधों की वास्तविकता क्या है? चीन और उत्तर कोरिया की सरकारों का उस समूह पर कितना प्रभाव है, जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय परिसंपत्तियों को नियंत्रित करता है और भारत के प्रधानमंत्री के साथ जिसके घनिष्ठ संबंध है?
क्या आप चीन और उत्तर कोरिया के प्रभाव के प्रति संवेदनशील एक व्यापारिक समूह पर अपनी दुस्साहसपूर्ण निर्भरता के कारण अति महत्वपूर्ण भारतीय संपत्तियों की सुरक्षा को खतरे में नहीं डाल रहे हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि विनोद अडाणी चीन के नागरिकों के साथ मिलकर शेल कंपनियां चला रहे हैं।
रमेश ने कहा कि सरकार को विनोद अडाणी की मदद करने की बजाय आरोपों की जांच करानी चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा, अडाणी समूह के अवैध गतिविधियों में शामिल चीनी नागरिकों के साथ इतने गहरे संदेहास्पद संबंध क्यों हैं? विनोद और गौतम अडाणी के साथ उनका क्या रिश्ता है?
रमेश ने दावा किया, अडाणी समूह ने बार-बार दायर अपने दस्तावेजों में विनोद अडाणी को साइप्रस की नागरिकता वाले एक एनआरआई के रूप में दर्शाया है। फिर भी दुबई में संपत्ति के रिकॉर्ड कथित तौर पर यह दिखाते हैं कि विनोद अडाणी के पास भारतीय पासपोर्ट है, जिसकी वैधता 2026 तक है। उन्होंने सवाल किया, इस तथ्य को समझते हुए कि भारत में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है, विनोद अडाणी के पास भारतीय पासपोर्ट होना कैसे संभव है?
क्या सरकार को चीनी नागरिकों की मिलीभगत से मनीलॉन्ड्रिंग (धनशोधन) और शेल कंपनियों (मुखौटा कंपनियों) के संचालन के आरोपी व्यक्ति की जांच नहीं करनी चाहिए?कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है।
उल्लेखनीय है कि वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)