नई दिल्ली। दलित संगठनों ने एससी/ एसटी अत्याचार निवारण संबंधी कानून पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ 'भारत बंद' के दौरान दलितों द्वारा हिंसा फैलाए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सोमवार को आगाह किया कि यदि 15 अगस्त तक केंद्र ने यह मसला नहीं सुलझाया तो सितंबर में दिल्ली में विशाल मार्च आयोजित किया जाएगा।
दलितों एवं आदिवासियों के संगठनों को मिलाकर बने ऑल इंडिया एससी/ एसटी समाज के संयोजक अशोक भारती ने 'भारत बंद' के बाद आरोप लगाया कि 'आगरा, ग्वालियर, बाड़मेर समेत कई स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी समेत अगड़ी जाति के संगठनों ने दलितों के जुलूस पर हमले किए।
अशोक भारती ने यह भी आरोप लगाया कि दलितों के विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में उमड़े लोगों को देखकर सरकार घबरा गई और उसने दलित संगठनों को बदनाम करने के लिए अराजक तत्वों का इस्तेमाल करके दलितों पर हमले कराए।
उन्होंने सवाल किया, यदि दलित इतने बाहुबली हैं तो उन्हें रोजाना क्यों मारा जा रहा है? हमने कोई हिंसा नहीं की है। हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। यदि कुछ जगहों पर हिंसा हुई है तो वह प्रशासन की विफलता थी। जिन जगहों पर स्थानीय प्रशासन ने दलित संगठनों के सहयोग से इंतजाम किए वहां प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा।
उन्होंने कहा कि दलित संगठनों ने एससी/ एसटी उत्पीड़न निवारण कानून पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा समेत न्यायपालिका में एससी, एसटी के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं महिलाओं को भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग की है।
उन्होंने संगठन का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि सरकार उनकी मांगें पूरी करने में विफल रहती है तो सितंबर में दिल्ली में विशाल मार्च आयोजित किया जाएगा, जिसमें लाखों लोग शामिल होंगे। (वार्ता)