इंदौर। आध्यात्मिक गुरु भय्यू महाराज की आत्महत्या को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। कई सवाल भी उठ रहे हैं। भय्यू महाराज की मौत को लेकर कुछ ज्योतिषियों ने भी उनकी जन्म कुंडली और गोचर कुंडली के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत किए हैं। इनके आधार पर कहा जा रहा है कि महाराज की कुंडली में आत्महत्या के योग थे साथ ही महिला द्वारा तनाव दिए जाने की बात भी सामने आ रही है।
ज्योतिषीद्वय डॉ. अभिषेक पांडेय व प्रो. गोपाल पुजारी के अनुसार सर्वप्रथम तो अमावस्या के नजदीक वाली तिथियां तांत्रिक क्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। भय्यूजी की मृत्यु त्रयोदशी व चतुर्दशी के संयोग में हुई है। इन तिथियों के योग से स्पष्ट है कि उनके मन में शून्यता, निराशा और अवसाद का भाव बना।
डॉ. अभिषेक के मुताबिक यह योग इस बात की ओर भी संकेत कर रहा है कि संभवतः उन पर तांत्रिक क्रियाएं भी की गई हों या फिर उनके द्वारा कोई तांत्रिक क्रिया की गई, जिसमें किसी स्तर पर त्रुटि रह गई हो। इससे उनका अत्मबल कमजोर हुआ और राहु ने भी अपना असर दिखाया।
इस बात की पुष्टि भय्यू महाराज की लग्नपत्रिका से भी होती है क्योंकि उनका लग्न व राशि वृषभ थी। इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है तथा वृषभ राशि शुक्र से संबंधित है। यही शुक्र प्रश्न गोचर में बारहवें भाव में था अतः महिलाओं से घात सामने आ रहा है। शुक्र ग्रह धन संपत्ति और ऐश्वर्य का कारक भी है।
महाराज का जन्म 29 अप्रैल 1968 को सुबह 8 बजकर 28 मिनट पर मध्यप्रदेश के शुजालपुर (शाजापुर जिला) में हुआ था। लग्न पत्रिका के अनुसार मन का कारक चंद्रमा भय्यू महाराज के जन्म लग्न में विराजमान था। आत्महत्या वाले दिन भी वही चंद्रमा वृषभ लग्न में विराजमान था और सूर्य के साथ युति बना रहा था।
प्रो. पुजारी बताते हैं कि हम जानते हैं कि जातक की मानसिक स्थिति चंद्रमा के द्वारा निर्धारित होती है और चंद्रमा का सूर्य के साथ होने के कारण उसका प्रभाव समाप्त हो गया, जिसके चलते महाराज कोई भी निर्णय नहीं ले सके। इसी कारण भय्यूजी ज्ञानी होते हुए भी अज्ञानता वाला कार्य कर बैठे और उन्होंने खुदकुशी कर ली।
इसी प्रकार प्रश्न गोचर में रोग भाव अर्थात छठे भाव में मंगल और केतु की युति है जो शरीर से रक्त के बहने की ओर स्पष्ट संकेत है, वहीं शरीर के व्यय भाव में राहु के साथ शुक्र है, जो कि महिलाओं द्वारा मानसिक तनाव दिए जाने का प्रतीक है। राहु एक ऐसा राक्षस है जिसका सिर्फ सिर है और धड़ का नाम केतु है। अतः राहु के कारण ही सिर में गोली लगी।
डॉ. पांडे के अनुसार लग्नेश तथा मंगल की युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो जातक की किसी शस्त्र से मौत होती है। ठीक ऐसा ही भय्यूजी महाराज के साथ भी हुआ। भय्यू महाराज ने आत्महत्या के लिए पिस्तौल का उपयोग किया था। भय्यू महाराज की वर्तमान कुंडली के ग्रहों की चाल के अनुसार अष्टमेश, गुरु का मारक योग, जो कि उनके लिए मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाला था तथा उसमें सूर्य का प्रत्यंतर उन्हें मृत्यु के समीप लेकर आया।
प्रो. पुजारी के मुताबिक शनि का गोचर अष्टम भाव में ही चल रहा था। इन्हीं ग्रहों की चाल के यही प्रमुख कारण है जिनके चलते भय्यू महाराज ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। मत्यु तुल्य कष्ट देने वाले गुरु ने जबसे उनके कुंडली के छठे भाव में यानी की तुला राशि में प्रवेश किया था, तब से ही वे सबसे ज्यादा तनाव में थे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में कुछ अशुभ ग्रह होते हैं। इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति की अकाल मृत्यु होती है। कुछ जातकों की कुंडली में अकाल मृत्यु के योग होते हैं।
ज्योतिषीद्वय के मुताबिक मृत्यु को कोई भी नहीं बदल सकता, चाहे वह ईश्वर का प्रतिनिधि कहलाने वाला संत हो या फिर राजा या रंक। कब, किस कारण से, किसकी मौत होगी, यह कोई भी नहीं जान और कह सकता। चाहे वह ग्रह नक्षत्रों का कितना ही बड़ा जानकार ही क्यों न हो। कुछ ग्रहों की अशुभ चाल के कारण कुछ लोगों की अल्पायु में ही मौत हो जाती है और ऐसी मौत को ही अकाल मृत्यु कहते हैं। जातक की कुंडली के आधार पर अकाल मृत्यु के संबंध में जाना जा सकता है।