नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने विवादास्पद सुल्ली डील्स ऐप के कथित निर्माता ओंकारेश्वर ठाकुर की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस समय उसे राहत देने से निष्पक्ष जांच प्रभावित होगी।
जुलाई, 2021 में मुस्लिम महिलाओं की नीलामी के लिए गिटहब प्लेटफॉर्म पर ऐप बनाया गया था और मामला तब सामने आया जब दिल्ली पुलिस ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वसुंधरा छाउंकर ने बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद शनिवार को यह आदेश पारित किया।
सुनवाई के दौरान पुलिस ने दावा किया कि यह पता चला है कि आरोपी 'ट्रेड महासभा' का सदस्य है और उसने गिटहब पर ऐप बनाया। उसने और अन्य लोगों ने ऑनलाइन नीलामी के लिए मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट कीं।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया, इस स्तर पर अभियुक्त के वकील की दलीलों में कोई दम नहीं है क्योंकि निश्चित रूप से नीलामी के लिये मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट करके उन्हें निशाना बनाया गया है।
अदालत ने कहा कि वह इस स्तर पर अदालत मामले के उन अजीबोगरीब तथ्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकती, जो आरोपी के कथित कृत्यों की गंभीरता को दर्शाते हैं।
अदालत ने कहा कि इसके अलावा प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग और कथित कृत्यों के चलते समाज के बड़े वर्ग पर पड़े प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।
अदालत ने कहा कि आरोपी ने जानबूझकर 'टोर ब्राउजर' का इस्तेमाल किया था ताकि उसकी पहचान का खुलासा न हो सके।
अदालत ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है, जहां महत्वपूर्ण सबूत और आगे की घटनाओं का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। इस समय आरोपी को जमानत देने से निष्पक्ष जांच प्रभावित होगी।
बुल्ली बाई ऐप मामले में मुख्य आरोपी नीरज बिश्नोई से पूछताछ के दौरान सूचना मिलने के बाद दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की आईएफएसओ इकाई ने ठाकुर को पिछले हफ्ते इंदौर से गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने जांच के दौरान पाया कि बिश्नोई और ठाकुर इंटरनेट पर जुड़े हुए थे।