बिगड़ी दिल्ली की हवा, जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक

Webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019 (21:20 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गणवत्ता ‘बहुत खराब’ होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में जनरेटरों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि जरूरी और आपात स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
 
समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) द्वारका सेक्टर 8 में 359, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 343, मुंडका में 342 रोहिणी में 319, आनंद विहार में 313 और बवाना में 370 रहा। शाम 6.30 बजे एक्यूआई 275 रहा। पड़ोसी गाजियाबाद (316), ग्रेटर नोएडा (308) और लोनी देहात (307) में वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ स्तर पर पहुंच गई है।
 
एक्यूआई 0 से 50 के बीच होने पर 'अच्छा' होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच होने पर उसे 'गंभीर' समझा जाता है।
 
जनरेटर पर प्रतिबंध ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) का एक हिस्सा है। जीआरएपी मंगलवार से लागू हो गया है। इसके तहत प्रदूषण की गंभीरता के अनुसार कठोर प्रदूषण-विरोधी उपायों जाएंगे।
 
यह पहली बार है जब एनसीआर के शहरों गुड़गांव, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और बहादुरगढ़ तक में जनरेटरों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
 
केंद्र द्वारा संचालित वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान प्रणाली और अनुसंधान (सफर) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दिल्ली की समग्र वायु गुणवत्ता ‘खराब श्रेणी’ के अंतिम हिस्से में है। यह सोमवार रात को थोड़े वक्त के लिए ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई थी।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा धीमी चल रही है और उसकी दिशा ऐसी नहीं है कि वह धुएं को दिल्ली की ओर ले आए। इसलिए अगले दो दिनों में वायु गुणवत्ता बहुत खराब होने की आशंका नहीं है।
 
इसमें पूर्वानुमान लगाया है कि शहर की वायु गुणवत्ता ‘खराब श्रेणी’ के अंतिम और ‘बहुत खराब’ श्रेणी के शुरुआत स्तर के बीच रह सकती है। मौसम विभाग ने बताया कि मौसम की स्थिति में बदलाव की वजह से शहर की हवा में सुधार हो सकता है।
 
विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नया पश्चिमी विक्षोभ 18 अक्टूबर से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित करेगा। इससे हवा की गति बढ़ने की संभावना है जिससे प्रदूषक छितरेंगे।
 
इस बीच, दिल्ली सरकार ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री को पत्र लिखकर सफर की तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने का आग्रह किया है, ताकि शहर प्रशासन वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय कर सके।
 
हर्षवर्धन को लिखे पत्र में, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने जोर देकर कहा कि नवंबर के दौरान दिल्ली में पीएम 2.5 के उच्च स्तर पर होता है, इसकी वजह दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना है। 

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