देश में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भोपाल में अब तक मरीजों का आंकड़ा 2000 को पार कर चुका है। अकेले भोपाल में अब तक 204 केस आ चुके हैं। डेंगू मरीजों प्लेटलेट्स कम होने पर इलाज के तौर पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं और इसके मामले बढ़ने के साथ ही प्लेटलेट्स की कालाबाजारी भी होने लगी है। इसके अलावा जबलपुर और ग्वालियर के साथ ही देश के अन्य भागों में भी डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मरीजों के बढ़ने के साथ ही प्लेटलेट्स की कालाबाजारी भी होने लगी है। जबलपुर में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें प्राइवेट हॉस्पिटल्स मरीजों पर एसडीपी प्रक्रिया के जरिए मरीज को प्लेटलेट्स दिए जाने का दबाव बना रहे हैं। हॉस्पिटल ऐसे मरीजों को भी प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत बता रहे हैं जिनका प्लेटलेट्स काउंट 50 हजार से ऊपर है। ऐसा कर हॉस्पिटल विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन की भी खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के अनुसार केवल कुछ ही गंभीर मरीजों को प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है।
जबलपुर में इस समय डेंगू का कहर चल रहा है और अस्पतालों में डेंगू के मरीज भरे पड़े हैं डेंगू का मरीज जैसे ही अस्पताल पहुंचता है डॉक्टर उसकी प्लेटलेट्स काउंट चेक करते हैं, सामान्य मरीज में प्लेटलेट्स दो लाख से लेकर साढ़े चार लाख तक होती हैं। डेंगू के मरीज में इनकी संख्या कम हो जाती है। प्लेटलेट्स की मौजूदा स्थिति के आधार पर ही डेंगू के मरीज की गंभीरता जानी जाती है। डॉक्टर मरीज की गंभीरता को देखते हुए मरीज के परिजनों से प्लेटलेट्स का इंतजाम करने के लिए कहते हैं।
भोपाल के सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी कहते हैं कि भोपाल में तमाम इंतजाम डेंगू को लेकर किए जा रहे हैं। लगातार फॉगिंग के साथ ही जांच भी की जा रही है। वहीं लोगों को जागरूक करने के साथ ही यह निर्देश भी दिए जा रहे हैं कि घरों में पानी जमा न होने दें। साथ ही जांच दल समय-समय पर मोहल्लों में जाकर डेंगू के लार्वा को नष्ट करने की कार्रवाई भी कर रहा है।
ग्वालियर जिले में हर रोज बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या के बाद प्लेटलेट्स की मांग भी बढ़ती जा रही है। इसी बीच शहर में प्लेटलेट्स की कालाबाजारी का खतरा भी बढ़ गया है। हालांकि अभी तक जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। अंचल की सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में स्थित रेडक्रॉस ब्लड बैंक में रोजाना 30 से 40 ऐसे मरीजों के परिजन पहुंच रहे हैं जिन्हें प्लेटलेट की आवश्यकता है।