मुख्य बिंदु
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3 माह में 26 बार सीमा पार से उड़ाए गए ड्रोन
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जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले के बाद 10 बार दिखे ड्रोन
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सुरक्षा बलों की फायरिंग के बाद अंधेरे में गायब हो जाते हैं ड्रोन
जम्मू। जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा अब हवाई मार्ग से छेड़ी गई ड्रोन वार खतरनाक मोड़ लेने लगी है। यह इसी से स्पष्ट होता है कि जम्मू के वायुसैनिक हवाई अड्डे पर हुए हमले के बाद 10 बार ड्रोन दिख चुके हैं और कल जिस ड्रोन को मार गिराया गया वह राजौरी, पुंछ तथा अखनूर के सैनिक महत्व के सेक्टरों को शेष देश से जोड़ने वाले पुल से मात्र आधा किमी ही दूर था। इस बीच सुरक्षाधिकारियों ने बताया कि पिछले 3 महीनों में सीमा पार से 26 बार ड्रोन इस ओर भेजे गए हैं।
जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर 26 जून की रात पहली बार ड्रोन हमला किया गया था। इस हमले में विस्फोट से एयरफोर्स स्टेशन की छत को नुकसान पहुंचा था और दो जवान घायल हुए थे। 27 जून की रात में भी जम्मू के कालूचक मिलिट्री बेस पर ड्रोन नजर आया। सुरक्षा बलों ने इस पर फायरिंग की, लेकिन यह अंधेरे में गायब हो गया।
जम्मू के सुंजवां मिलिट्री स्टेशन के पास 28 जून की देर रात ड्रोन नजर आया। कुंजवानी और कालूचक इलाके में भी ड्रोन दिखा। 30 जून को भी शहर में चार अलग-अलग जगहों पर ड्रोन नजर आए। 16 जुलाई को जम्मू, सांबा, कठुआ में सैन्य ठिकानों के आसपास ड्रोन दिखाई दिए गए। 2 जुलाई को अरनिया में बीएसएफ ने ड्रोन को खदेड़ा था।
इसके बाद 20 जुलाई को फिर से जम्मू एयरपोर्ट के पास ड्रोन नजर आए। जिनको एनएसजी ने फायरिंग कर खदेड़ दिया। हमले के बाद जम्मू के अलग-अलग स्थानों पर 10 बार ड्रोन देखे जाने की सूचना सामने आई है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ड्रोन वार कहां जाकर रूकेगी कोई नहीं जानता। सुरक्षाधिकारी मानते हैं कि यह आतंकवाद का सबसे खतरनाक स्वरूप है जिससे निपटना आसान नहीं है। सीमांत क्षेत्रों में सुरक्षाबलों के लिए मुसीबत यह है कि पांव के नीचे आतंकियों द्वारा बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंगों का खतरा है है तो सैन्य प्रतिष्ठानों पर आत्मघाती हमलों के खतरे के बीच अब आसमान से ड्रोन के रूप में लटकती मौत भी इसमें शामिल हो गई है।