नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल को शनिवार को जमानत दे दी। रतन लाल पर आरोप है कि उन्होंने ज्ञानवापी सर्वे के दौरान शिवलिंग मिलने के दावे पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की थी। दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर लाल को तीस हजारी कोर्ट के समक्ष पेश किया था।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जाना चाहिए, जबकि रतन लाल के वकील ने कहा कि मामले में कोई केस ही नहीं बनता है। इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होने चाहिए।
प्रोफेसर लाल के वकील का कहना था कि सोशल मीडिया पोस्ट से कोई हिंसा नहीं हुई है। ऐसे में पुलिस सेक्शन 153A कैसे लगा सकती है। एक लोकतांत्रिक देश में सबको अभिव्यक्ति की आजादी है।
हालांकि पुलिस ने प्रोफेसर की रिमांड नहीं मांगी थी, बल्कि न्यायिक हिरासत की बात कही थी। पुलिस का कहना था कि एक पढ़े-लिखे व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। रतन लाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने शिकायत की थी। जिंदल ने अपनी शिकायत में कहा कि लाल ने हाल ही में शिवलिंग' पर एक अपमानजनक और उकसाने वाला ट्वीट किया था।