Fact of Gyanvapi masjid: क्या काशी विश्वनाथ मंदिर की मुख्य जगह पर बनी है ज्ञानवापी मस्जिद? यह उस जगह बनी है जहां पर पहले कभी शिवलिंग हुआ करता था? क्या यह सभी बातें गलत है और यह सच है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर तोड़कर नहीं बनाई गई? फिर क्यों यह 5 तथ्य मन में संदेह पैदा करते है?
1. नंदी : वहां एक विशालकाय नंदी है जिसका मुंह मुंह मस्जिद की तरफ है। इससे यह सिद्धि होता है कि शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कहीं स्थित था। वजूखाने में मिले शिवलिंग को मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। मंदिर-मस्जिद के बीच लोहे की ग्रिल लगी हुई है। कहा जा रहा है कि उस पत्थर से नंदी की दूरी 83 फीट है, जो उसी पत्थर की ओर देख रहे हैं। कहते हैं कि वजूखाने में 12 फीट 8 इंच का शिवलिंग है।
2. मस्जिद की दीवार : मस्जिद के पीछे की बाहरी दीवार स्पष्ट तौर पर हिन्दू शैली में बनी हुई है। यह दीवार बिल्कुल मंदिर जैसी है।
3. श्रृंगार गौरी और गणेश मूर्ति : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में माता श्रृंगार गौरी और गणेश की मूर्तियों का होना इस बात का सबूत है कि वहां मंदिर था। ज्ञानवापी परिसर में ही मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, हनुमान, आदि विश्वेश्वर, नंदीजी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं।
4. पश्चिमी दीवार पर घंटी की आकृतियां: ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर घंटी की आकृतियां बनी हैं।
5. कुआं और ज्ञानवापी का अर्थ : मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के बीच 10 फीट गहरा कुआं है, जिसे ज्ञानवापी कहा जाता है। इसी कुएं के नाम पर मस्जिद का नाम पड़ा। स्कंद पुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था। कहते हैं कि कुएं का जल बहुत ही पवित्र है जिसे पीकर व्यक्ति ज्ञान को प्राप्त हो जाता है। ज्ञानवापी का अर्थ होता है ज्ञान+वापी यानी ज्ञान का तालाब। ज्ञानवापी का जल श्री काशी विश्वनाथ पर चढ़ाया जाता था।
दावा : कहते हैं कि सर्वे टीम को मस्जिद के तीन कमरों में सर्प, कलश, घंटियां, स्वास्तिक, संस्कृत के श्लोक और स्वान की मूर्तियां मिली हैं। इसके साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि औरंगजेब के दरबारी के दस्तावेज में यहां मंदिर होने का जिक्र है। इसके साथ ही दस्तावेज में मंदिर गिराने का जिक्र होने का दावा किया जा रहा है।