नई दिल्ली। न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने भारत के 50वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप से बुधवार को पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। उन्होंने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की जगह ली है, जिनका कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हुआ।
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	11 नवंबर 1959 में जन्मे डीवाई चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ लगभग सात साल और चार महीने तक प्रधान न्यायाधीश रहे थे, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में किसी सीजेआइ का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। उनकी मां शास्त्रीय संगीतकार थीं।
 
									
										
								
																	
	 
	
	उन्होंने इकोनॉमिक्स व मैथ्स में ग्रेजुएशन किया है तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड ला स्कूल से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बनाए गए थे। इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया। 13 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	वह कई संविधान पीठों और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं। इनमें अयोध्या विवाद, आइपीसी की धारा-377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक CJI के पद पर रहेंगे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	Edited by : Nrapendra Gupta