ई-कॉमर्स कंपनियों ने मांगी जीएसटी से छूट

Webdunia
मंगलवार, 30 अगस्त 2016 (18:04 IST)
नई दिल्ली। देश में तेजी से विस्तार कर रही ई-कॉमर्स कंपनियों ने उन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से बाहर रखने की मांग उठाई है। हालांकि राज्यों के वित्तमंत्री उनकी इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं दिखते।
संसद द्वारा जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद हुई राज्यों के वित्तमंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति की पहली बैठक में ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं ने कहा कि वे माल विक्रेताओं और ग्राहकों को सिर्फ 'प्लेटफार्म' उपलब्ध करा रही हैं, इसमें जो बिक्री होती है, उससे वह पैसा नहीं बना रही हैं।
 
बैठक में पेश प्रस्तुतीकरण के अनुसार, फ्लिपकार्ट, आमेजन इंडिया तथा स्नैपडील जैसी कंपनियां माल विक्रेताओं के लिए सिर्फ सेवा प्रदाता हैं और ऐसे में उनकी सिर्फ सेवा से होने वाली आय पर जीएसटी लगना चाहिए। बयान के अनुसार, दोनों देशों के बीच के रक्षा संबंध उनके साझा मूल्यों एवं हितों तथा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति उनकी स्थाई प्रतिबद्धता पर आधारित हैं। 
 
पर्रिकर ने कार्टर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया कि (समझौते में) भारत में किसी तरह का सैन्य अड्डा या किसी तरह की गतिविधि स्थापित करने का कोई प्रावधान नहीं है। इससे पहले दोनों नेताओं ने पेंटागन में बातचीत की।
 
पर्रिकर ने कहा, इसका (समझौते का) सैन्य अड्डा स्थापना से कुछ लेना-देना नहीं है। यह मूल रूप से एक-दूसरे के बेड़े के लिए साजो-सामान सहयोग को लेकर है जैसे ईंधन आपूर्ति, संयुक्‍त अभियानों, मानवीय सहायता अन्य राहत अभियानों के लिए जरूरी अन्य चीजों की आपूर्ति।
 
उन्होंने कहा, इसलिए यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों नौसेनाएं उन संयुक्त अभियानों और अभ्‍यासों में एक-दूसरे की सहयोगी हों, जो हम करते हैं। अमेरिकी रक्षामंत्री कार्टर ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों को साथ लाने में पर्याप्त रूप से सहायक बनाएगा। उन्होंने कहा कि समझौता दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त अभियानों को साजो-सामान के हिसाब से आसान एवं कुशल बनाएगा।
 
कार्टर ने समझाया, यह समझौता हमारे लिए साथ काम करना संभव और आसान बनाएगा जब हम इसका चयन करेंगे। यह स्वयं ही नहीं करेगा..वे समझौते..वे ऐसी चीजें हैं जिस पर दोनों सरकारों को मामला दर मामला के आधार पर सहमत होना होगा। लेकिन जब वे सहमत होंगे, यह समझौता चीजों को आसान करेगा एवं कुशल संचालन करेगा। 
 
उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से परस्पर है। अन्य शब्दों में हम एक-दूसरे को इस समझौते के तहत पूरी तरह से समान एवं आसान पहुंच मुहैया कराते हैं। यह किसी तरह का आधार समझौता नहीं है, लेकिन यह संयुक्त अभियानों के प्रचालन तंत्र को अधिक आसान एवं कुशल बनाता है। 
 
पर्रिकर ने यह भी संकेत दिया कि भारत को उन दो अन्य मूलभूत समझौतों पर हस्ताक्षर करने की कोई जल्‍दबाजी नहीं है जिस पर अमेरिका कई वर्षों से जोर दे रहा है। (भाषा)  
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