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कोलकाता से ढाका तक भूकंप के झटके, क्या थी भूकंप की तीव्रता?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

कोलकाता , शुक्रवार, 21 नवंबर 2025 (11:21 IST)
Earthquake news in hindi : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में शुक्रवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। सुबह लगभग 10 बजे आए इस भूकंप के झटके कोलकाता से ढाका तक महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.5 मापी गई।
 
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, आज सुबह 10:08:26 बजे बांग्लादेश के नरसिंगडी के पास 5.5 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र बांग्लादेश के टुंगी से 27 किलोमीटर पूर्व में था। इसकी गहराई 10 किलोमीटर बताई जा रही है। भूकंप से जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
 
कैसे आता है भूकंप? : हमारी धरती मुख्य तौर पर 4 परतों से बनी हुई है- इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टलऔर क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं। लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और उर्ध्वाधर दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट, दूसरी के नीचे आ जाती है।
 
कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता? : भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन् 1935 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।
 
इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है, वह प्रति स्केल 32 गुना बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी, वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुना बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
 
भूकंप को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है, पर इसमें भूकंप को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है, क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।
 
भारत में भूकंप का खतरा कितना? : भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर 4 हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।
 
edited by : Nrapendra Gupta 

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