Earthquake zones in India: हाल ही में रूस के सुदूर पूर्वी इलाके कामचटका प्रायद्वीप में आए एक शक्तिशाली भूकंप ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है। रिक्टर पैमाने पर 8.7 से 8.8 तीव्रता वाले इस भूकंप के बाद अमेरिका से लेकर जापान तक सुनामी की चेतावनी जारी की गई, जिससे एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं के विनाशकारी प्रभावों की याद ताजा हो गई। कामचटका क्षेत्र, जो 'रिंग ऑफ फायर' का हिस्सा है, अपनी उच्च भूकंपीय गतिविधि के लिए जाना जाता है। इस भूकंप ने कई इमारतों में दरारें पैदा कर दीं और लोगों में दहशत का माहौल बना दिया। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि भारत जैसे भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय देश में भूकंप का खतरा कितना है और किन क्षेत्रों को सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
भारत में भूकंपीय क्षेत्रों का वर्गीकरण
भारत एक ऐसा देश है जो विभिन्न टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर स्थित है, खासकर हिमालयी क्षेत्र में, जहां भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है। इसी कारण भारत में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने देश को भूकंपीय खतरे के आधार पर चार मुख्य क्षेत्रों में वर्गीकृत किया है: क्षेत्र V, IV, III और II।
1. क्षेत्र V (अत्यंत उच्च जोखिम): यह भारत का सबसे अधिक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहां सबसे तीव्र भूकंप आने की संभावना होती है। इस क्षेत्र में देश का लगभग 11% हिस्सा आता है।
शामिल क्षेत्र: जम्मू और कश्मीर (कश्मीर घाटी) के कुछ भाग, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी भाग, उत्तराखंड का पूर्वी भाग, गुजरात में कच्छ, उत्तरी बिहार का कुछ भाग, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य और अंडमान एवं निकोबार द्वीप
2. क्षेत्र IV (उच्च जोखिम): यह क्षेत्र भी भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है और यहां मध्यम से तीव्र भूकंप आ सकते हैं। देश का लगभग 18% हिस्सा इस क्षेत्र में आता है।
शामिल क्षेत्र: लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ भाग, हरियाणा के कुछ भाग, पंजाब के कुछ भाग, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश का उत्तरी भाग, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, गुजरात के कुछ भाग और पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के कुछ भाग तथा पश्चिमी राजस्थान का कुछ भाग।
3. क्षेत्र III (मध्यम जोखिम): इस क्षेत्र में मध्यम तीव्रता के भूकंप आने की संभावना होती है। देश का लगभग 30% हिस्सा इस क्षेत्र में है।
शामिल क्षेत्र: केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्से, गुजरात और पंजाब के शेष हिस्से, पश्चिम बंगाल, पश्चिमी राजस्थान, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से, बिहार का शेष हिस्सा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्से।
4. क्षेत्र II (निम्न जोखिम): यह भारत का सबसे कम भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहां भूकंप का खतरा बहुत कम होता है। देश का शेष हिस्सा इस क्षेत्र में आता है।
शामिल क्षेत्र: राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के शेष भाग।