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बिहार तो गजबे कर दिया, अब हेडमास्‍टर्स भगाएंगे कुत्ते, शिक्षा विभाग का आदेश, आखिर क्‍या है माजरा?

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024 (16:30 IST)
बिहार में अजब गजब चीजें होती है। ऐसी ही एक खबर वायरल हो रही है। जिसमें टीचरों के लिए जो आदेश निकाला गया है वो हैरान करने वाला है। यह सरकारी आदेश है जो निकाला गया है। दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग ने वैशाली जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के हेड मास्टर को आवारा कुत्तों को भगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ स्कूल के बच्चों को सुरक्षित रखने का जिम्मा भी उन्‍हें सौंपा गया है। बता दें कि यह निर्देश जिले के कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जारी किया गया है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने निकाला आदेश : बता दें कि यह आदेश जिला कार्यक्रम अधिकारी ने निकाला है। बिहार शिक्षा परियोजना वैशाली के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने सभी सरकारी और मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को एक पत्र भेजा है, जिसमें दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए हैं।

क्‍या निर्देश दिए गए टीचरों को
कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें : विद्यालय परिसर में कुत्तों के काटने से बचाव के लिए यह सुनिश्चित करें कि परिसर में कूड़ा-कचरा और खाने-पीने की चीजें इधर-उधर न फेंकी जाएं, ताकि आवारा कुत्ते आकर्षित न हों।

खतरनाक स्थानों पर बच्चों को रोकें: विद्यालय में ऐसी जगहों को सुरक्षित बनाएं जहां कुत्ते या अन्य खतरनाक जानवर बच्चों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

जागरूकता बढ़ाएं: बच्चों को कुत्तों से सावधान रहने और कुत्तों के काटने से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करें।

अंदर ही अंदर चली नाराजी : बिहार शिक्षा विभाग द्वारा हेड मास्टरों को कुत्तों को भगाने और बच्चों को सुरक्षित रखने का निर्देश जारी किए जाने के बाद राज्य में शिक्षकों के बीच नाराजगी फैल गई है। कोई भी इस आदेश से खुश नहीं है। दूसरी तरफ किसी को भी मीडिया के सामने इसे लेकर बोलने से मना कर दिया गया है।

राजनीति भी गरमाई : इस मुद्दे पर बिहार की प्रमुख विरोधी पार्टी के विधायक भी सामने आए हैं। वैशाली जिले के विधायक डॉ. मुकेश रोशन ने एक वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने कभी शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों का फोटो लेने की ड्यूटी दी, कभी दारू पीने वालों को चिन्हित करने की, और अब तो हद ही हो गई है कि उन्हें कुत्तों को भगाने का काम सौंपा गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो शिक्षक बच्चों को पढ़ाने जा रहे हैं, उन्हें कुत्ता भगाने का काम दिया जा रहा है। बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है, न कि इसे और बदहाल करने की। अगर शिक्षक कुत्तों को भगाने में लगे रहेंगे, तो बच्चों को पढ़ाएगा कौन?
Edited by Navin Rangiyal

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