Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Indian-Chinese troops clash in Tawang : अरुणाचल के तवांग में चीनी सैनिकों से झड़प पर भारतीय सेना ने जारी किया बयान, बताई सारी बात

हमें फॉलो करें Indian-Chinese troops clash in Tawang : अरुणाचल के तवांग में चीनी सैनिकों से झड़प पर भारतीय सेना ने जारी किया बयान, बताई सारी बात
, मंगलवार, 13 दिसंबर 2022 (00:20 IST)
नई दिल्ली। Indian-Chinese troops clash in Tawang : नई दिल्ली। भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के निकट एक स्थान पर 9 दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें ‘दोनों  पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए। 
 
भारतीय सेना ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी (लाइन ऑफ एक्जुअल कंट्रोल) पर यांग्त्से के पास झड़प हुई। भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा कि पीएलए (चीन की सेना) के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर  में एलएसी पर नौ दिसंबर को झड़प हुई। हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता से सामना किया।  इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं।
 
बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए। इसके बाद हमारे कमांडर ने  स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग बैठक’ की।’’ सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख  नहीं किया गया। इसने कहा कि तवांग सेक्टर में एलएसी पर क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों की ‘अलग-अलग धारणा’ है।
 
300 सैनिक शामिल थे : हालांकि, एक सूत्र ने संकेत दिया कि इसमें 300 से अधिक चीनी सैनिक शामिल थे और वे डंडे और  लाठियां लिए हुए थे और चीनी पक्ष की ओर घायलों की संख्या अधिक हो सकती हैं। लेकिन इस पर  कोई आधिकारिक बयान नहीं है।
 
सेना ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से सटे अपने दावे वाले कुछ क्षेत्रों में  दोनों पक्ष गश्त करते हैं। यह सिलसिला 2006 से जारी है।’’
 
आज संसद में हो सकती है चर्चा : इस बीच कांग्रेस ने भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी के निकट झड़प की घटना को लेकर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और सरकार को देश को भरोसे में लेना चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया कि एक बार फिर हमारे सैनिकों को चीन ने उकसाया  है। हमारे सैनिकों ने बहादुरी से मुकाबला किया और कुछ जवान घायल भी हुए। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के  मुद्दे पर राष्ट्र के रूप में एक हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करेंगे। लेकिन मोदी सरकार को एलएसी (लाइन ऑफ एक्जुअल कंट्रोल) पर चीन की आक्रमकता और निर्माण कार्य को लेकर ईमानदार होना चाहिए।"
ALSO READ: Indian-Chinese troops clash in Tawang : अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं PM मोदी, संसद में मुद्दा उठा सकता है विपक्ष
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ट्वीट किया है कि भारतीय सेना के शौर्य पर हमें गर्व है। सीमा पर  चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं। पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की  कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है। इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है।"
 
2020 के बाद जारी है तल्खी : भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले साल अक्टूबर में भी यांग्त्से के पास एक संक्षिप्त टकराव हुआ था और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी। दोनों पक्षों ने एलएसी पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी। पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारतीय सेना ने पूर्वी थिएटर में एलएसी पर अपनी अभियानगत 
 
क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है। पूर्वी थिएटर में बड़े पैमाने पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में एलएसी से लगते सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं तथा सीमांत क्षेत्रों में तवांग और उत्तरी सिक्किम क्षेत्र सहित कई संवेदनशील अग्रिम स्थान हैं।
 
सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सेना ने एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित किया है और पिछले दो वर्षों  में क्षेत्रों की समग्र निगरानी में काफी सुधार हुआ है। सितंबर में, सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने कहा था कि  भारतीय सेना एलएसी पर पीएलए की गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी 
 
चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।  5 मई, 2020 को शुरू हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी के निकट बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है।
 
संबंधों पर पड़ेगा प्रभाव : अरुणाचल प्रदेश से भाजपा के सांसद तापिर गाओ ने सोमवार को कहा कि तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई ‘हिंसक झड़प’ दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेगी। उन्होंने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि दोनों देशों की सरकारों को समस्याओं के समाधान के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

तापिर गाओ ने एक वीडियो संदेश में कहा कि 9 दिसंबर की घटना के बारे में सुनकर मुझे दुख हुआ। मैं इसकी निंदा करता हूं। अगर भविष्य में पीएलए (चीन की सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) ऐसे काम करती रही तो इससे भारत-चीन संबंधों को नुकसान होगा। भाषा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

खड़गे ने की मांग, चीन की हरकत को लेकर संसद में चर्चा कराए सरकार