नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर यूं तो काफी फर्जीवाड़ा चलता है, लेकिन कभी-कभी तो अति ही हो जाती है। अभी वॉट्सऐप ग्रुप पर एक मैसेज जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि मुस्लिम छात्राएं केवल यूनिफॉर्म में ही स्कूल आ सकती हैं। उन्हें हिजाब और बुर्का पहनने की इजाजत नहीं होगी।
दरअसल, हकीकत इसके उलट है। इस मामले में अभी अदालत में सुनवाई चल रही है। मंगलवार 2.30 बजे से अदालत इस मामले की फिर से सुनवाई शुरू करेगी। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच कर रही है।
क्या है वाइरल मैसेज : कर्नाटक हाई कोर्ट की बड़ी बेंच ने हिजाब पर फैसला सुना दिया, जिसमें कहा गया कि मुस्लिम बच्चियां स्कूल में केवल स्कूल ड्रेस में ही आ सकती हैं, उनको हिजाब और बुर्के की इजाजत नहीं होगी, अलबत्ता वो अपने धर्म के अनुसार चाहे तो केवल सर को ढंक सकेंगी, लेकिन हिजाब की इजाजत नहीं दी जा सकती।
यदि कोई लड़की ऐसा नही करती तो स्कूल को बिना कारण बताए उसका नाम काटकर घर भेजने का अधिकार होगा, जिसके लिए आगे किसी भी कोर्ट में अपील नही की जा सकती और मजे की बात यह है कि ये फैसला देने वाले जज साहब खुद मुसलमान हैं जिनका नाम मुहम्मद मुस्ताख़ खान है।
इस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि ये है कानून की राह पर सही चलाने वाला फैसला। हिजाब-बुर्के का कोई विरोध नही है, देश में किन्तु मुसलमानों द्वारा ये यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को रोकने का प्रयोग था जो विफल हो गया...।
...और हकीकत ये है : हकीकत यह है कि कर्नाटक हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने अभी इस मामले में कोई फैसला सुनाया ही नहीं है। 15 फरवरी मंगलवार को दोपहर 2.30 बजे अदालत इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि अदालत इस मामले में अपना फैसला आज सुना सकती है।
इससे पहले जस्टिस कृष्णा दीक्षित की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की थी, जिसमें इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका। इसके बाद यह मामला बड़ी बेंच के सुपुर्द कर दिया गया था। जस्टिस दीक्षित ने स्कूलों में हिजाब पर बैन लगाने वाले सरकारी आदेश को गैर जिम्मेदाराना बताया था।
अदालत ने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के आर्टिकल 25 के खिलाफ है और यह कानूनन वैध नहीं है। आर्टिकल 25 में धार्मिक मान्यताओं के पालन की आजादी दी गई है।
मुस्लिम छात्राओं के वकील का तर्क : छात्राओं की ओर से पक्ष रख रहे वकील देवदत्त कामत ने भी मामले की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि जब केन्द्र सरकार के स्कूलों (सेंट्रल स्कूल) में हिजाब पहनने की अनुमति है, तो राज्य सरकार के स्कूलों में इस आपत्ति क्यों है।
विशेष : हमारी लोगों से अपील है कि सोशल मीडिया के किसी भी मैसज को फॉरवर्ड करने या उस पर भरोसा करने से पहले कम से कम एक बार तथ्यों और सच्चाई को जरूर परख लें। इसके बाद ही उसे आगे बढ़ाएं अन्यथा फेक न्यूज फैलाने के आरोप में आईटी एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई भी संभव है।