नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त होने के बाद जब वे अमेरिका गए थे तो यह अंग्रेजी भाषी उदारवादी मीडिया था, जिसने दूसरों की तुलना में बहुत कठिन चुनौती पेश की, क्योंकि उसके पूर्व निर्धारित विचार थे और उसने निष्पक्ष तस्वीर पेश नहीं की।
जयशंकर ने यहां अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 में बदलाव भारत का आंतरिक मामला है। उन्होंने कहा, यह बदलाव हमारा आंतरिक मामला है लेकिन जाहिर है कि दुनियाभर में इसे लेकर रुचि थी क्योंकि विभिन्न लोगों के इसके बारे में विचार थे और हमारे पड़ोसियों ने इस बारे में थोड़ा हल्ला मचाया।
मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद भारत ने विभिन्न देशों की सरकारों से संपर्क किए जाने को प्राथमिकता दी ताकि वे समझ सकें कि ये बदलाव क्या थे। उन्होंने कहा, इस घटनाक्रम के लगभग छह सप्ताह बाद मैं सितम्बर में अमेरिका गया, हमनें काफी प्रगति की।
उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि मीडिया ने काफी कठिन चुनौती पेश की, विशेषकर अंग्रेजी भाषी उदारवादी मीडिया ने, क्योंकि वे इस बारे में बहुत ही विचाराधारा आधारित थे, उनके इस विषय पर पूर्व निर्धारित विचार थे। विदेश मंत्री ने कहा, मेरे विचार में...कई मायनों में उन्होंने निष्पक्ष तस्वीर पेश नहीं की। हो सकता है कि उन्होंने एक निष्पक्ष तस्वीर को स्वीकार नहीं किया हो।
उन्होंने कहा, मैंने बहुत से लोगों को पाया, जो इस सूचना पर आश्चर्यचकित थे कि संविधान के जिस विशेष प्रावधान में बदलाव किया गया है, वह एक अस्थाई प्रावधान था, लेकिन मीडिया ने ऐसा नहीं कहा। जयशंकर सितंबर के अंत से अक्टूबर की शुरुआत तक एक सप्ताह की अमेरिकी यात्रा पर गए थे।
गौरतलब है कि केंद्र ने गत 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाकर जम्मू कश्मीर को 2 केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में बांटने का फैसला किया था। ये केन्द्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे।