बेंगलुरू से बेहद ही हैरान करने वाली खबर आ रही है। दोस्तों की एक बेहद क्रूर और शर्मनाक करतूत की वजह से यहां एक विकलांग लडके की मौत हो गई। घटना दिवाली के दिन की दक्षिण बेंगलुरू में हुई।
दरअसल, दिवाली के दिन आतिशबाजी करने के दौरान दोस्तों ने अपने 32 वर्षीय दिव्यांग दोस्त को यह चुनौती दी कि अगर वह जलते हुए बम- पटाखों के डिब्बे पर बैठ जाएगा तो वे उसे ऑटो रिक्शा दिलाएंगे। दोस्तों की बातों में आकर दिव्यांग ने ऐसा किया और वो जलते बम के ढेर पर बैठ गया। जैसे ही पटाखे जलकर फूटे वो बुरी तरह झुलसकर घायल हो और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस के मुताबिक 32 साल के मृतक शबरीश की इस हरकत में मौत हो गई। शबरीश कथित तौर पर शराब के नशे में था और उसने अपने छह दोस्तों की चुनौती स्वीकार कर ली थी, जो (दोस्त) खुद भी नशे में थे। शर्त यह थी कि यदि वह पटाखे जलाते समय डिब्बे पर बैठ जाएगा तो 31 अक्टूबर को कोणनकुंटे में एकत्र हुए उनके 6 दोस्तों का ग्रूप उसे एक ऑटोरिक्शा खरीद कर देगा।
पुलिस ने बताया कि पूरा घटनाक्रम कैमरे में रिकॉर्ड हो गया जिसे अब सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि जोरदार विस्फोट होने से शबरीश जमीन पर गिर जाता है।
दोस्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज : घटना के बाद शबरीश को अस्पताल ले जाया गया, जहां शनिवार को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। डीसीपी (साउथ बेंगलुरु) लोकेश जगलासर ने कहा, गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है और घटना में शामिल समूह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया है।
पुलिस ने बताया कि यह घटना बन्नेरघट्टा रोड के गोटीगेरे में वीवर्स कॉलोनी में हुई। कोननकुंटे पुलिस ने उसी इलाके में रहने वाले 26 वर्षीय नवीन, दिनाकरन, सत्यवेलु, कार्तिक, सतीश और संतोष कुमार को गिरफ्तार किया है, जिनकी उम्र 18 से 22 साल के बीच है।
विकलांग था शबरीश : शबरीश की मां विजया घरेलू सहायिका हैं। उन्होंने बताया शबरीश ने पटाखा जलाया था इसी वजह से उसे चोटें आई हैं। विजया ने आगे कहा कि शबरीश के अंतिम संस्कार के वक्त पता चला कि उसके एक दोस्त नवीन ने दूसरे युवकों की मदद से पटाखा जलाया था। विजया ने कहा कि यह घटना पास की एक इमारत में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। मैं फुटेज देखकर हैरान रह गई और मुझे एहसास हुआ कि युवकों ने मुझसे झूठ बोला था। बता दें शबरी दोनों हाथों से विकलांग था। वह 15 दिनों के लिए निर्माण मजदूर के रूप में काम करने के लिए बेंगलुरु से बाहर गया था। वह दीपावली के लिए घर लौटा था।
Edited by Navin Rangiyal