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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में ‘पहली लड़ाई’ जीतने वाली 5 वादी महिलाओं की जुबानी केस की पूरी कहानी

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विकास सिंह

, मंगलवार, 13 सितम्बर 2022 (17:34 IST)
काशी में श्रृंगार गौरी की पूजा की मांग करने वाली जिस याचिका पर वाराणसी जिला कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है उसको दायरा करने वाली महिलाएं आज सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में है। कोर्ट के फैसले के बाद जश्न मानती दिखी याचिका से जुड़ी पांच महिलाएं फैसले को अपनी बड़ी जीत बता रही है। पांच महिलाओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला जज अजय कृष्णा विश्वेश ने याचिका को सुनवाई योग्य बताते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान जिला जज ने मुस्लिम पक्ष के रूल 7 नियम 11 के आवेदन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट, काशी विश्वनाथ ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड से इस वाद को बाधित नहीं माना और श्रृंगार गौरी वाद सुनवाई योग्य माना। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। 
 
श्रृंगार गौरी केस मे कोर्ट में लड़ने वाली आखिरी यह महिलाएं कौन है और आखिर इन्होंने कोर्ट में क्यों याचिका दाखिल की और कोर्ट के बाद इनका क्या कहना है, आइए समझते है। 
 
राखी सिंह- श्रृंगार गौरी मामले में जिला कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली वादियों में वाराणसी के बाहर की एक मात्र महिला राखी सिंह हिन्दुत्व की विचारधारा के साथ काम करने वाली एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। राखी सिंह विश्व वैदिक सनातन संघ की संस्थापक सदस्य हैं। वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले के बाद राखी सिंह ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट का आदेश उन लोगों के मुंह पर तमाचा है। जो यह कह रहे थे कि मैं और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह पीछे हट रहे हैं। मैं बस इतना ही कहूंगी कि हम लोग इस केस को मजबूती के साथ लड़ते रहेंगे।
 
राखी सिंह मां श्रृंगार गौरी की उपासक हैं। सनातन संघ के कार्यक्रमों के दौरान ही उनकी मुलाकात लक्ष्मी, सीता साहू, मंजू और रेखा पाठक से हुई थी। फिर पांचों महिलाओं ने अगस्त 2021 में अपनी याचिका दाखिल की। 
 
लक्ष्मी देवी-लक्ष्मी देवी वाराणसी के सूरजकुंड इलाके की रहने वाली है और उनके पति सोहन लाल विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेता है। लक्ष्मी देवी गृहिणी हैं और दावा करती हैं कि वह कभी किसी संगठन से उनका कोई जुड़ाव नहीं है। सोमवार को कोर्ट ने जब फैसला सुनाया तब लक्ष्मी देवी कोर्ट रूप में मौजूद थी और फैसले के बाद बेहद खुश है। लक्ष्मी कहती हैं कि उनको विश्वास है कि कोर्ट से आगे भी उनके पक्ष में फैसला आएगा और वह मां श्रृंगार गौरी की पूजा कर सकेगी।  
 
रेखा पाठक- श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रमुखता से नजर आने वाली काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पास में हनुमान पाठक क्षेत्र में रहने वाली रेखा पाठक एक घरेलू महिला हैं। रेका पाठक कहती है कि परिसर के पास रहने के दौरान अक्सर वह देखती थी कि मंदिर में पूजा के लिए जाने वाली महिलाओं को बैरिकेडिंग के पार जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए उन्होंने कोर्ट में याचिका का हिस्सा बनी। याचिका दायर करने का निर्णय हमने मंदिर के एक सत्संग के दौरान लिया क्योंकि हम सभी देवी मां की पूजा करते हैं। 
 
कोर्ट के फैसले के बाद याचिकाकर्ता रेखा पाठक कहती है कि मां श्रृंगार गौरी का नियमित दर्शन-पूजन उनके बच्चे बिना किसी बाधा के कर सकें। इसी पवित्र भावना के साथ साल भर पहले केस दाखिल किया गया था। अभी हमने पहला पड़ाव पार किया है। अदालत के आदेश से हमें आगे की लड़ाई के लिए बल मिला है। 
 
सीता साहू-सीता साहू जो पूरे मामले में एख याचिकाकर्ता है, काशी में ज्ञानवापी परिसर से 2 किमी दूरी पर स्थित चेतगंज इलाके में रहती है। सीता साहू हिंदुत्व की प्रबल समर्थक है लेकिन किसी संगठन से जुड़ने का दावा नहीं करती है। वह कहती है कि हम हिन्दू धर्म के लिए काम कर रहे हैं और याचिका दायर की है क्योंकि हमें मंदिर में अपनी देवी की ठीक से पूजा करने की अनुमति नहीं है। जहां तक कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला था तो हमनें सत्संग के दौरान याचिका दायर करने का फैसला किया था। 
 
मंजू व्यास- मंजू व्यास ज्ञानवापी परिसर से 1.5 किमी दूरी पर रहती है। मंजू मां श्रृंगार गौरी की भक्त है औऱ वह चाहती है कि श्रृंगार गौरी स्थल पर वह पूजा कर सके इसलिए वह कोर्ट में वादिनी बनी। वाराणसी कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष के एतराज जताने औऱ इलाहाबाद हाईकोर्ट में फैसले को चुनौती देने पर मंजू व्यास कहती है कि वह वह लोग कोर्ट में कैविएट याचिका दाखिल करेंगे। श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए वह हर लड़ाई लड़ने को तैयार है। 

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