यूपी-पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक बुलाई गई, लेकिन जी 23 खेमा संतुष्ट नजर नहीं आया। दो दिनों में बड़े-बड़े नेताओं की दो मीटिंग से देश की राजनीति में हलचल बढ़ गई।
सवाल उठने लगा कि क्या कांग्रेस टूट की कगार पर पहुंच गई है? लेकिन फिर सोनिया गांधी एक्टिव हुईं। गुलाम नबी आजाद से मुलाकात फिक्स हुई और मुलाकात के बाद लगता है कि जैसे सारे विवाद भी फिलहाल फिक्स कर लिए गए हैं।
कुछ दिनों पहले ही जी 23 में शामिल कपिल सिब्बल ने सीधे सीधे राहुल गांधी पर सवाल खुड़े किए थे। उसके बाद दो दिनों तक जी 23 की दो मीटिंग हुई।
फिर भूपेन्द्र हुड्डा के जरिए सोनिया गांधी से नाराज गुट की मीटिंग तय हुई और कल जब गुलाम नबी आजाद सोनिया से मिलकर मीडिया के सामने आए तो कहा कि पार्टी नेतृत्व से कोई नाराजगी ही नहीं है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा, लीडरशिप का कोई सवाल ही नहीं उठा है। जब सोनिया गांधी ने अपना इस्तीफा देने की पेशकश की थी तो हम सभी लोगों ने उनसे कहा कि आप बतौर अध्यक्ष कामकाज जारी रखिए, क्योंकि जब पार्टी के चुनाव होंगे, तब वक्त बात होगी।
अभी तो पार्टी के चुनाव नहीं हो रहे हैं तो कौन पार्टी प्रेसिडेंट बनेगा, कौन नहीं बनेगा, वो तभी देखा जाएगा। जो पार्टी के कार्यकर्ता हैं, वो फैसला करेंगे कि अध्यक्ष कौन होगा। आज तो पार्टी अध्यक्ष की कोई जगह खाली नहीं है
नेतृत्व से नाराजगी का सवाल नहीं तो फिर मीटिंग की जरुरत क्या थी? इस पर गुलाम नबी आजाद ने कहा पार्टी में सुधार के लिए जी 23 की ओर से कुछ सुझाव देने आए थे। आजाद ने कहा, कुछ सुझाव हैं, जो पार्टी को ठीक करने के लिए हमने दिए हैं। संगठन को मज़बूत करने के लिए सोनिया गांधी जी की चर्चा नेताओं से होती रहती है। हम भी पहले ये चर्चा कर चुके हैं।
CWC से सुझाव मांगे गए थे। मैंने भी अपने सुझाव दिए हैं। आने वाले विधानसभा चुनावों की कैसे तैयारी की जाए, कांग्रेस कैसे मिलकर सामने वाले को चुनाव में मात दे सकती है। इन सब बातों पर चर्चा हुई। जो संगठन को मज़बूत करने के सुझाव होते हैं वो अंदर होते हैं, वो खुलेतौर पर हम नहीं दे सकते हैं
इससे ये साफ है कि कल तक पार्टी पर जो टूट का खतरा दिख रहा था, लगता है फिलहाल उस संकट को टाल दिया गया है और जी 23 की नाराजगी का नतीजा क्या होगा, ये अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव के दौरान पता चलेगा।