नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सिर्फ जीएसटी और नोटबंदी उनकी सरकार की उपलब्धियां नहीं हैं, बल्कि करोड़ों लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ना, शौचालयों का निर्माण और विद्युतीकरण जैसे कई कदमों के बारे में बात की जा सकती है।
मोदी ने एक निजी हिंदी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि केवल नोटबंदी और जीएसटी से ही मेरा आंकलन मत कीजिए। हमने आर्थिक सुधार किए हैं, शौचालय बनवाएं हैं और 18000 गांवों में बिजली पहुंचाई है।
जीएसटी को लागू करने के बाद अपनी सरकार की हो रही आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि जीएसटी की सफलता संघीय ढांचे की शक्ति में है। इसे समायोजित करने में समय तो लगता है, लेकिन इसका परिणाम अच्छा होगा।
मोदी ने कहा है कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आते ही देश में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई है। 2014 से पहले, विश्व यह नहीं देखता था कि भारत क्या कहता है। लेकिन 2014 में जब हम सत्ता में आए तो परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में 30 साल बाद जाकर पूर्ण बहुमत वाली सरकार आई है जो कि विश्व में एक बहुत बड़ा महत्व रखता है। ये पहले दिन से नज़र आता है। जबसे हमारी सरकार आई, भारत घर में अच्छा कर रहा है, इसलिए दुनिया स्वीकार कर रही है।
यह पूछने पर कि रोजगार सृजन में विफल रहने को लेकर उनकी सरकार की खासी आलोचना हो रही है, मोदी ने कहा कि पिछले एक साल में संगठित क्षेत्र में 70 लाख ईपीएफ अकाउंट खुले हैं। एक साल में 10 करोड़ लोगों ने मुद्रा योजना का लाभ लिया है। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि ऑफिस के बाहर दुकान लगाने वाले व्यक्ति की कमाई को हम रोजगार में शामिल नहीं कर रहे हैं। वह किसी भी आंकड़े में शामिल नहीं होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की जनता ने हमें सुधार करने के लिए चुना है, ना कि चुनाव जीतने के लिए। यदि हमारे सुधार से लोगों को फायदा होता है तो इसका प्रभाव चुनाव पर पड़ेगा, जैसा कि हमने उत्तर प्रदेश और गुजरात में देखा है।
मोदी ने कहा कि एक के बाद एक चुनाव होते रहते हैं, इससे राजनीतिज्ञों का ध्यान दूसरी तरफ रहता है। साल में एक बार उत्सव की तरह चुनाव भी एक निश्चित समय में होने चाहिए। राज्यों के 80 से 100 बड़े अफसरों को ऑब्जर्वर के रूप में दूसरे राज्यों में भेजा जाता है। ऐसे में राज्य किस तरह काम करेगा। सुरक्षाबलों के लाखों जवान साल में 100 से 200 दिन चुनाव कार्यों में लगे रहते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं तो इससे करोड़ों रुपए बचाए जा सकते हैं। पोलिंग बूथ पर बड़ी तादाद में कार्यबल जुटे रहते हैं। काफी बड़ी रकम खर्च होती है। इन दोनों चुनावों को साथ-साथ होना चाहिए। इसके एक महीने बाद स्थानीय चुनाव होने चाहिए। सब मिलकर ऐसा सोचेंगे तो यह संभव हो सकता है। एक बार चर्चा शुरू हो तो आगे की राह निकल आएगी। (वार्ता)