नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि करापवंचन रोकने के विभिन्न उपायों के लागू होने के बाद माल व सेवा कर (जीएसटी) से होने वाला राजस्व संग्रहण अगले वित्त वर्ष के आखिर तक एक लाख करोड़ रुपए मासिक हो सकता है।
सरकार कर आंकड़ों का मिलान व ई-वे बिल जैसी पहल कर रही है ताकि किसी भी तरह की कर-चोरी को रोका जा सके। अधिकारियों के अनुसार जीएसटी रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया पूरी तरह स्थिर होने के बाद विश्लेषण व जोखिम प्रबंधन महानिदेशालय (डीजीएआरएम) जोरशोर से काम करना शुरू कर देगा ताकि जीएसटी दाखिल करने वाले लोगों द्वारा दिए गए आंकड़ों का उनके आईटीआर से मिलान किया जा सके।
सरकार ने एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष 2018-19 में जीएसटी से 7.44 लाख करोड़ रुपए मिलने का बजटीय अनुमान लगाया है। मौजूदा वित्त वर्ष आठ महीनों जुलाई फरवरी में अनुमानित संग्रहण 4.44 लाख करोड़ रुपए रहा। मार्च संग्रहण अप्रैल में आएगा जो कि नए वित्त वर्ष 2018-19 की शुरुआत होगी।
अधिकारियों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष के लिए राजस्व अनुमान काफी सतर्कता से लगाए गए हैं और सरकार द्वारा उठाए गए प्रवर्तन कदमों के आधार पर ये अधिक भी रह सकते हैं। जीएसटी का कार्यान्वयन एक जुलाई 2017 से किया गया।
पहले महीने में इससे 95000 करोड़ रुपए मिले जबकि अगस्त में यह राशि 91,000 करोड़ रुपए, सितंबर में 92,150 करोड़ रुपए, अक्टूबर में 83,000 करोड़ रुपए, नवंबर में 80,808 करोड़ रुपए व दिसंबर में 86,703 करोड़ रुपए रही। दिसंबर 2017 तक 98 लाख कारोबारी इकाइयों ने जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाया।
अधिकारी ने कहा, ‘हम जल्द ही जीएसटी रिटर्न में दिखाए गए कारोबार का आयकर विभाग के यहां दाखिल आयकर रिटर्न से मिलान शुरू करेंगे। यह काम अगले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में शुरू होगा।’ उन्होंने कहा कि एक बार ए पहलें लागू होने के बाद जीएसटी राजस्व औसत एक लाख करोड़ रुपए मासिक हो ही जाएगा। (भाषा)