जखाऊ/ अहमदाबाद। गुजरात के कच्छ जिले में जखाऊ बंदरगाह के निकट शक्तिशाली चक्रवात 'बिपारजॉय' के संभावित आगमन से 2 दिन पहले अधिकारियों ने मंगलवार को तटीय क्षेत्रों से करीब 30,000 लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों में स्थानांतरित कर दिया।
एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की कई टीम तैयार हैं। इसके साथ ही, सेना के अधिकारियों ने नागरिक प्रशासन और एनडीआरएफ के साथ संयुक्त रूप से राहत कार्यों की योजना बनाई है। सेना ने रणनीतिक स्थानों पर बाढ़ राहत टुकड़ियों को तैयार रखा है।
चक्रवात के मद्देनजर तैयारियों का जायजा लेने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात सरकार से संवेदनशील स्थानों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने की व्यवस्था करने और बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य तथा पेयजल जैसी सभी आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित करने को कहा।
बैठक में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, 2 केंद्रीय मंत्रियों, गुजरात के कई मंत्रियों और चक्रवात से प्रभावित होने की आशंका वाले आठ जिलों के सांसद, विधायक और अधिकारियों ने भाग लिया।
राज्य राहत आयुक्त आलोक कुमार पांडे ने कहा कि हमने उन तटवर्ती इलाकों के निकट रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पहले ही शुरू कर दिया है जिनके चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका है। अभी तक विभिन्न जिलों के प्रशासन ने करीब 30,000 लोगों को अस्थायी आश्रय स्थलों पर पहुंचाया है। अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य तट से 10 किलोमीटर के इलाके में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि अब तक चक्रवात से संबंधित एक मौत दर्ज की गई है।
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), अहमदाबाद की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा कि चक्रवात के 15 जून की शाम को 125-135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लेकर 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ जखाऊ बंदरगाह के पास कच्छ में मांडवी और पाकिस्तान के कराची के बीच पार करने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र के तटीय हिस्सों, खासकर कच्छ, पोरबंदर और देवभूमि द्वारका जिलों में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
मोहंती ने कहा कि चक्रवात के दस्तक देने और कमजोर होने के बाद, इसके उत्तर-पूर्व और दक्षिण राजस्थान की ओर बढ़ने की आशंका है। इस वजह से 15-17 जून तक उत्तर गुजरात में भारी से बहुत भारी बारिश होगी। उन्होंने कहा कि समुद्र के अशांत होने और आने वाले चक्रवात के कारण क्षेत्र में अत्यधिक भारी वर्षा के मद्देनजर मछली पकड़ने संबंधी गतिविधियों को 16 जून तक निलंबित कर दिया गया है। मोहंती ने कहा कि समुद्र 14 जून तक बहुत अशांत रहेगा, 15 जून को इसका स्तर और बढ़ जाएगा।
पांडे ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रही है कि इस चक्रवात से कोई जनहानि न हो। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान 2 चरणों में शुरू किया गया है और सबसे पहले समुद्र तट से 5 किलोमीटर तक की दूरी पर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा।
उन्होंने बताया कि इसके बाद तट से 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा और इस दौरान बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार ने कहा है कि प्रभावित जिलों देवभूमि द्वारका, राजकोट, जामनगर, जूनागढ़, पोरबंदर, गिर सोमनाथ, मोरबी और वलसाड में एनडीआरएफ की 17 और एसडीआरएफ की 12 टीम पूरी तरह तैयार हैं।
पश्चिम रेलवे ने कहा कि उसने एहतियात के तौर पर अब तक 69 ट्रेन रद्द की हैं, 32 ट्रेन को गंतव्य से पहले रोक दिया है और 26 अन्य ट्रेन के कार्यक्रम में भी बदलाव किया गया है। इस बीच भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) ने चक्रवात 'बिपारजॉय' के असर से खराब मौसम के बीच रातभर चले अभियान के तहत द्वारका तट से 40 किलोमीटर दूर तेल निकालने के लिए समुद्र पर बनाए गए प्लेटफॉर्म (ऑयल रिग) से 50 कर्मचारियों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। आईसीजी ने एएलएच विमान तथा शूर पोत से आयल रिग 'की सिंगापुर' से कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला।
सेना ने बाढ़ राहत टुकड़ियों को रणनीतिक स्थानों पर तैयार रखा है। एक रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया है कि सेना के अधिकारियों ने नागरिक प्रशासन के साथ-साथ एनडीआरएफ के साथ संयुक्त रूप से राहत कार्यों की योजना बनाई है। इस संवाद ने आपदा प्रबंधन में शामिल सभी एजेंसियों को अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक दूसरे से लाभ प्राप्त करने के लिए एक मंच दिया है।
विज्ञप्ति में कहा गया कि तेज हवाओं और भारी बारिश के मद्देनजर हताहतों की संख्या कम से कम रहे, इसके लिए पड़ोसी राज्य राजस्थान से भी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि चक्रवात की चेतावनी के बाद से कांडला में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बंदरगाह पर नौवहन गतिविधियां बंद कर दी गई हैं और श्रमिकों सहित लगभग 3,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है।
राज्य द्वारा राहत और बचाव अभियान में तेजी लाने के बीच मुख्यमंत्री पटेल ने नागरिकों से अपील की है कि वे प्रशासन का सहयोग करें। उन्होंने एक संदेश में कहा कि सरकार ने शून्य हताहत दृष्टिकोण के साथ बचाव, राहत और पुनर्वास की योजना बनाई है और नागरिकों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कच्छ के भुज में तैयारी के उपायों की समीक्षा की। मांडविया के अलावा चार अन्य केंद्रीय मंत्री बचाव और निकासी उपायों में राज्य प्रशासन के साथ मदद और समन्वय के लिए विभिन्न जिलों में पहुंचे।
कच्छ जिले के तटीय गांवों से सैकड़ों लोगों को निकाले जाने के बीच अधिकारियों को चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है क्योंकि कई ग्रामीण अपने पशुओं और सामान को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हैं। कच्छ जिले में तट से करीब 5 किलोमीटर दूर आशीर्वाद गांव में लोग तभी वहां से जाने को तैयार हुए, जब पुलिस और राजस्व अधिकारियों ने समझाने-बुझाने के लिए उनके साथ बैठक की।
लोगों को बस एवं निजी वाहनों से ले जाया जा रहा है। विभिन्न गांवों से कम से कम 78 लोगों को आश्रय स्थल में तब्दील कर दिये गये जखाऊ प्राथमिक विद्यालय में पहंचाया गया है। तटीय गांव मोहादी गांव से भी लोगों को अन्यत्र ले जाया गया है।(भाषा)(फ़ाइल चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta