अहमदाबाद/बोटाद। पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल ने कथित तौर पर विभाग के आवंटन को लेकर नाराज गुजरात के उपमुख्यमंत्री तथा वरिष्ठ पाटीदार नेता नितिन पटेल को सत्तारूढ भाजपा से नाता तोड़ने पर उन्हें कांग्रेस में सम्मानीय पद दिलाने का ऑफर दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पटेल को शुक्रवार शाम एक एसएमएस संदेश भी भेजा था जिसमें यह कहा था कि वह उनके साथ खड़े हैं। हालांकि इसका कोई जवाब नहीं आया है और संभवत: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के डर से वह जवाब भी नहीं देंगे।
विधानसभा चुनाव में भाजपा का खुलेआम विरोध कर चुके हार्दिक ने आज बोटाद में चुनाव परिणामों को लेकर पास के चिंतन शिविर से पहले पत्रकारों से कहा कि नितिनभाई भाजपा में अपमान के बाद अगर हमारे साथ जुड़ जाएं तो साथ मिलकर गुजरात में सुशासन की लड़ाई लड़ी जाएगी। वह 10 विधायकों के साथ लेकर भाजपा से इस्तीफा दे दें तो कांग्रेस में उन्हें योग्य स्थान दिलाएंगे।
हार्दिक ने कहा कि पटेल ने भाजपा को गुजरात में मजबूत बनाने में 30 साल तक कड़ी मेहनत की है और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की 'दादागिरी' के चलते उनका अपमान किया गया है। इसी वजह से वडोदरा से किसी भाजपा नेता को मंत्री नहीं बनाया गया है, जबकि सूरत जिसने भाजपा की लाज बचाई है, को भी केवल एक ही राज्यमंत्री मिला है। अगर नितिनभाई तैयार हो कि भाजपा छोडना है तो हम उनका पूरा साथ देंगे। मैं सामने से कांग्रेस से बात कर उन्हें योग्य स्थान दिलाऊंगा।
ज्ञातव्य है कि भाजपा को इस बार केवल 99 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के लिए जरूरी 92 से मात्र सात ही अधिक है। दो दिन पहले विभागों के बंटवारे के बावजूद पटेल ने अब तक पदभार नहीं संभाला है। वह सरकारी गाड़ी का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उन्हें मनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भी जुटे हैं। पटेल से वित्त, नगर विकास और नगरीय आवास तथा पेट्रोरसायन जैसे महत्वपूर्ण विभाग ले लिए गए हैं।
पटेल को जल्द मना ले भाजपा आलाकमान : गुजरात के पूर्व मंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम पटेल ने उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से यहां मुलाकात करने के बाद कहा कि भाजपा आलाकमान को 'सत्याग्रह' कर विरोध जता रहे पटेल को जल्द से जल्द मना लेना चाहिए।
नरोत्तम पटेल ने शनिवार को कहा कि पटेल ने भाजपा के लिए बहुत कुछ किया है और वह कोई सामान्य मंत्री नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री हैं। पूर्व में शहरी विकास मंत्रालय उनके पास था और उनके बेहतर काम के कारण ही शहरी क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है। वह चाहते थे कि शहरी विकास और वित्त मंत्रालय का प्रभार उनके पास रहे और इसके लिए शांतिपूर्ण ढंग से सत्याग्रह की तर्ज पर विरोध करने में कुछ गलत भी नहीं है।