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हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव से पूछा- आपकी बेटी शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को क्यों बना रहे हैं संन्यासी

हमें फॉलो करें हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव से पूछा- आपकी बेटी शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को क्यों बना रहे हैं संन्यासी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

चेन्नई , मंगलवार, 1 अक्टूबर 2024 (14:52 IST)
Isha Foundation Jaggi Vasudev in controversy: सद्गुरु जग्गी वासुदेव विवाद में घिर गए हैं। दरअसल, 2 लड़कियों के पिता रिटायर्ड प्रोफेसर ने मद्रास हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में सदगुरु पर आरोप लगाया है कि उनकी लड़कियों को ईशा योग केंद्र में स्थायी रूप से रहने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने याचिका में अपनी बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की भी मांग की। 
 
अदालत का सवाल : इस याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव से पूछा कि आपकी बेटी शादीशुदा है और अच्छा जीवन जी रही है  तो फिर आप दूसरों की बेटियों को क्यों संन्यासी बना रहे हैं। न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति वी शिवगनम की बेंच ने सवाल किया- आप अन्य युवतियों को सांसरिक जीवन त्यागने और संन्यासी की तरह जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं? सदगुरु जग्गी वासुदेव की पहचान दुनियाभर में एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में हैं। उनके दुनियाभर में बड़ी संख्या में अनुयायी भी हैं। 
 
क्या है पिता का आरोप : तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज का आरोप है कि उनकी दो पढ़ी-लिखी बेटियों का ब्रेन वॉश कर उन्हें ईशा योग केंद्र में रहने के लिए मजबूर किया गया है। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी। इनमें से एक लड़की 39 साल की है, जबकि दूसरी 42 साल की है। 
 
क्या है ईशा फाउंडेशन का जवाब : हालांकि अदालत में पेश हुईं दोनों लड़कियों ने कहा कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन में रह रही हैं। महिलाओं ने एक दशक पुराने मामले में पहले भी इसी तरह की गवाही दी थी। दूसरी ओर, ईशा फाउंडेशन ने दावा किया कि महिलाएं स्वेच्छा से उनके साथ रहती हैं। वयस्क व्यक्तियों को अपना मार्ग चुनने की स्वतंत्रता है। हम विवाह या संन्यासी बनने पर जोर नहीं देते, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकल्प हैं। ईशा फाउंडेशन की ओर से कहा गया कि योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं, जो संन्यासी नहीं हैं, साथ ही कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी बनने का निर्णय लिया है। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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