जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 23 अक्टूबर 2024 (18:03 IST)
Punjab and Haryana High Court News: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक पारिवारिक अदालत द्वारा एक व्यक्ति के पक्ष में दिए गए तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पति को ‘हिजड़ा’ कहना मानसिक क्रूरता के समान है। न्यायमूर्ति सुधीर सिंह और न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी की खंडपीठ इस वर्ष जुलाई में एक पारिवारिक अदालत द्वारा पति के पक्ष में दिए गए तलाक के खिलाफ एक महिला की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
 
पीठ ने कहा कि यदि पारिवारिक न्यायालय द्वारा दर्ज निष्कर्षों की जांच उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के मद्देनजर की जाए तो यह बात सामने आती है कि अपीलकर्ता-पत्नी के कृत्य और आचरण क्रूरता के समान हैं। कोर्ट ने कहा- प्रतिवादी पति को हिजड़ा कहना और उसकी मां को यह कहना कि उसने एक हिजड़े को जन्म दिया है, मानसिक क्रूरता के समान है।
 
अब नहीं सुधर सकते संबंध : आदेश में कहा गया है कि अपीलकर्ता-पत्नी के समग्र कृत्यों और आचरण पर विचार और इस बात पर भी गौर करते हुए कि दोनों पक्ष पिछले छह वर्षों से अलग-अलग रह रहे हैं, न्यायालय ने पाया कि दोनों पक्षों के बीच संबंध इतने खराब हो चुके हैं कि इन्हें अब सुधारा नहीं जा सकता।
 
इन दोनों की शादी दिसंबर, 2017 में हुई थी। तलाक की अर्जी देने वाले पति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी ‘देर से उठती’ थी। वह उसकी मां से पहली मंजिल पर स्थित अपने कमरे में दोपहर का भोजन भेजने के लिए कहती थी और दिन में चार से पांच बार उन्हें (मां को) ऊपर बुलाती थी और उसे इस बात की जरा परवाह नहीं थी कि उसकी मां गठिया से पीड़ित है।
 
पत्नी पर अश्लील वीडियो देखने का आरोप : व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी अश्लील वीडियो देखने की आदी है और उसे ‘शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं होने’ के लिए ताना मारती थी तथा वह किसी अन्य व्यक्ति से शादी करना चाहती थी। महिला ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया कि उसका पति यह साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर सका कि वह अश्लील वीडियो देखती थी। उसने अपने ससुराल वालों पर नशीले पदार्थ देने का भी आरोप लगाया।
 
महिला की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि पारिवारिक अदालत ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि पति और उसके परिवार ने महिला के खिलाफ क्रूरता की। आदेश में कहा गया है कि व्यक्ति की मां ने अपनी गवाही में कहा कि उसके बेटे को उसकी पत्नी ‘हिजड़ा’ कहती थी। इसमें कहा गया है कि दूसरी ओर पत्नी को नशीला पदार्थ देने और उसे एक ‘तांत्रिक’ के प्रभाव में रखने के आरोप को पत्नी द्वारा साबित नहीं किया जा सका।
 
पीठ ने कहा कि निसंदेह, यह न्यायालय का दायित्व है कि जहां तक ​​संभव हो, वैवाहिक बंधन को बनाए रखा जाए, लेकिन जब विवाह अव्यावहारिक हो जाए और पूरी तरह से समाप्त हो जाए, तो दोनों पक्षों को साथ रहने का आदेश देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि इस प्रकार, हम पाते हैं कि पारिवारिक न्यायालय द्वारा दिया गया फैसला किसी भी प्रकार से अवैधानिक या विकृत नहीं हैं। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर होगी शुरू, चीन के साथ विमान सेवा पर भी बनी सहमति

Gold Rate : सोना क्‍या और बढ़ेगा, कहां तक जाएगा, अभी खरीदना कितना सही, जानिए सवालों के जवाब

Indian Economy : भारतीय अर्थव्यवस्था 3 साल में जर्मनी और जापान को छोड़ देगी पीछे, नीति आयोग के सीईओ ने जताया अनुमान

Gold : तमिलनाडु के 21 मंदिरों ने क्यों पिघला दिया 1,000 किलो सोना

SC की इस टिप्‍पणी पर भड़के उपराष्‍ट्रपति धनखड़, बोले- अदालतें आदेश नहीं दे सकतीं, यह लोकतंत्र के खिलाफ

सभी देखें

नवीनतम

60 की उम्र में भाजपा नेता दिलीप घोष रचाएंगे शादी, सुबह की सैर पर हुई थी रिंकु से पहली मुलाकात

बाबा बौखनाग के नाम पर क्यों रखा जाएगा सिल्क्यारा सुरंग का नाम?

ब्यूटी क्वीन मेघना आलम के मोहपाश में फंसा सऊदी अरब का राजनयिक, फिर क्या हुआ

भाजपा का दावा, कांग्रेस का ATM बना नेशनल हेराल्ड, 2,000 करोड़ की संपत्ति पर सोनिया, राहुल की नजर

LIVE: पीएम मोदी ने एलन मस्क से बात की, जानिए क्या कहा?

अगला लेख