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बारिश और बाढ़ से देश के ये राज्य हुए बेहाल, बेकाबू हुए हालात

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, मंगलवार, 23 अगस्त 2022 (00:05 IST)
नई दिल्ली। बारिश और बाढ़ के चलते विभिन्न राज्यों में हालात भयावह हो चुके हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत विभिन्न जिलों में सोमवार को भी हुई भारी बारिश के चलते यहां मौसम विभाग द्वारा रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है। एमपी के विभिन्न जिलों में सोमवार को स्कूल भी बंद रहे। मंगलवार को भी छुट्टी घोषित कर दी गई। हिमाचल प्रदेश के तमाम हिस्सों में तेज बरसात के चलते हुई लैंडस्लाइड की घटनाओं कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उड़ीसा और उत्तराखंड में भारी बारिश का कहर जारी है। उत्तरप्रदेश में गंगा नदी में आए उफान के चलते वाराणसी और प्रयागराज में तटीय इलाकों में पानी भर गया है।
 
मध्यप्रदेश में तीसरे दिन भी : मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में सोमवार को तीसरे दिन भी भारी बारिश जारी रही जिससे राज्य की राजधानी भोपाल और जबलपुर सहित कुछ जिलों में स्कूल बंद रहे।
 
आईएमडी ने सोमवार को रेड अलर्ट जारी किया है जिसमें राज्य के पश्चिमी हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक वर्षा के साथ भारी से बहुत भारी वर्षा का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। प्रदेश के बड़े हिस्से में नदियां, नाले और अन्य जल स्त्रोत उफान पर हैं और पानी छोड़ने के लिए कई बांधों के द्वार खोल दिए गए हैं।
 
विशेषकर पश्चिमी मध्य प्रदेश में कई सड़कों पर कम दृश्यता के कारण वाहनों की आवाजाही कम रही। प्रदेश के कुछ निचले इलाकों में जलजमाव की खबरें हैं। आईएमडी ने लोगों को मूसलाधार बारिश के बीच यात्रा करने से बचने की सलाह दी है।
 
सोमवार को भोपाल और आसपास के इलाकों में भारी बारिश हुई। अधिकारियों ने बताया कि मूसलाधार बारिश के कारण भोपाल और जबलपुर सहित कुछ जिलों में सोमवार को स्कूल बंद रहे। मंगलवार को भोपाल-इंदौर में स्कूल बंद रखने का ऐलान किया गया है। 
 
भोपाल में तेज हवा के साथ बारिश से सड़कों के किनारे कई पेड़ उखड़ गए और कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित होने के साथ साथ यातायात भी प्रभावित हुआ। भोपाल नगर निगम के कर्मचारी रास्ते में गिरे पड़े पेड़ों और शाखाओं की सफाई करते दिखे।
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आईएमडी के भोपाल कार्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी वेद प्रकाश सिंह ने बताया कि भोपाल और सागर के पास मध्य प्रदेश के मध्य भागों में दबाव बना हुआ है। इसलिए आज रात तक भोपाल, नर्मदापुरम, सागर और ग्वालियर संभाग में बहुत भारी बारिश जारी रहने की संभावना है। दबाव के पश्चिम की ओर (मध्य प्रदेश में गुना और राजस्थान की ओर) बढ़ने की संभावना है।
 
अधिकारी ने कहा कि जब मध्य प्रदेश में दबाव पश्चिम की ओर बढ़ जाएगा इसके परिणामस्वरूप इंदौर, और उज्जैन संभागों में भी रात में मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पूर्वी मध्यप्रदेश में मानसून की बारिश थोड़ी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में लगभग पूरे राज्य में बारिश हुई है।
 
उड़ीसा में हालात भयावह : उत्तरी ओडिशा के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति सोमवार को चिंताजनक रही। सुबर्णरेखा नदी उफान पर है और इसका पानी निचले इलाकों में घुस गया। इस वजह से 100 से ज्यादा गांवों के सैकड़ों लोग फंस गए हैं।
 
अधिकारियों ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में गहरे कम दबाव का क्षेत्र बनने के बाद भारी बारिश होने के कारण और झारखंड से बाढ़ का पानी छोड़े जाने के चलते उत्तर ओडिशा की सभी नदियां उफान पर हैं।
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उन्होंने बताया कि बालासोर और मयूरभंज जिलों के अधिकारियों ने लोगों को संवेदनशील इलाकों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए रविवार को एक व्यापक अभियान शुरू किया, जो सोमवार को भी जारी रहा। अधिकारियों ने बताया कि सुबर्णरेखा नदी में रविवार शाम से जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे कई निचले इलाकों में पानी भर गया है।
 
अधिकारियों ने आशंका जताई है कि झारखंड में गलुडीह बैराज से और पानी छोड़े जाने के बाद बाढ़ की स्थिति और खराब हो सकती है। केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले के राजघाट पर सुबर्णरेखा का जलस्तर सुबह नौ बजे 11.90 मीटर पर था, जबकि खतरे का स्तर 10.36 मीटर है।
 
ओडिशा की जल संसाधन मंत्री तुकुनी साहू ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के बाद कहा कि  सुबर्णरेखा नदी अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, लेकिन बीते आठ घ‍ंटे से जल स्तर स्थिर है। हम इसपर करीब से निगाह रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
 
बालासोर के कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे ने कहा कि बालासोर जिले की 83 ग्राम पंचायत के करीब 156 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रशासन ने सोमवार दोपहर तक 40,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है और उन्हें 227 अस्थायी ढांचों में रखा गया है। प्रक्रिया अब भी चल रही है।”
 
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार को विशेष राहत आयुक्त की शक्तियां बालासोर के कलेक्टर को दे दीं ताकि स्थानीय प्रशासन को और प्रभावी बनाया जा सके। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एक हेलीकॉप्टर भी तैनात किया गया है। ओडिशा के जिलों में मंगलवार को भारी बारिश का पूर्वानुमान जताया है।
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इस बीच, विशेष राहत आयुक्त पीके जेना ने खुर्दा, पुरी, कटक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, नयागढ़, बालासोर, भद्रक, क्योंझर और बौद्ध जिलों के कलेक्टर को पत्र लिखकर बाढ़ में फंसी महिलाओं को निशुल्क सैनिटरी नैपकिन वितरित करने को कहा है।
 
सरकार के अनुमान के मुताबिक, ओडिशा भारी बारिश के बाद पहले से ही महानदी नदी प्रणाली में मध्यम बाढ़ के प्रभाव से जूझ रहा है, जिस कारण सात लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। करीब पांच लाख लोग अब भी 763 गांवों में फंसे हुए हैं।
 
हिमाचल में 32 की मौत : हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। 6 लोग अब भी लापता हैं जबकि 12 लोग घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता करते हुए 32 लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने मंडी जिले में बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि राज्य सरकार मृतकों के परिजन को चार-चार लाख रुपए देगी।
 
निचले इलाकों में पानी भराया : राजस्‍थान के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश की चेतावनी के बीच पिछले 24 घंटों के दौरान भारी से अति भारी बारिश के कारण कोटा शहर और आसपास के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। कोटा बैराज से 14 गेट खोलकर अत्यधिक पानी छोड़ा जा रहा है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
 
अधिकारी ने सोमवार को बताया कि बारिश और कोटा बैराज से छोड़े गए पानी के कारण निचले इलाके पानी में डूब गए हैं, लगभग 60 लोगों को निचले इलाकों से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है और स्कूल तथा कोचिंग संस्थान सोमवार को बंद रखा गया।
 
कोटा बैराज के 19 में से 14 गेट खोलकर अब तक करीब 3.83 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। वहीं, झालावाड़ में कालीसिंध बांध से 2.8 लाख क्यूसेक और झालावाड़ के भीम सागर बांध से 25200 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। कोटा के प्रगति नगर में सात फुट लंबा मगरमच्छ बारिश के पानी में देखा गया और उसे बचा लिया गया। मगरमच्छ पानी के रास्ते रिहायशी इलाके में घुस गया और स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई।
 
अधिकारियों ने बताया कि इस अवधि के दौरान झालावाड़ के डग में सबसे अधिक 234 मिमी और कोटा शहर में 224 मिमी बारिश दर्ज की गई। कोटा जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़) और जवाहर सागर बांध (कोटा) के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश के कारण चंबल नदी पर कोटा बैराज में जल स्तर बढ़ गया है। सोमवार को एक और गेट खोला गया।

उन्होंने बताया कि अब तक बैराज से करीब 3.83 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। अधिकारी ने बताया कि इसी तरह का कदम झालावाड़ में बांधों से अत्यधिक पानी छोड़ने के लिए उठाया गया था।
 
अधिकारी ने बताया कि कोटा बैराज के गेट खोलने से पहले अलर्ट कर दिया गया था और जब से पानी छोड़ा गया है, कई निचले इलाके पानी में डूब गए हैं। कोटा के तलवंडी, पुराना कोटा की कॉलोनियों, बजरंग नगर, जवाहर नगर, स्टेशन रोड, बालाजी नगर आदि क्षेत्रों में लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई और पानी घरों में घुस गया।

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