गृहमंत्री शाह ने लगाया दिल्ली सरकार पर आरोप, बोले- नगर निगमों के साथ कर रही सौतेला व्यवहार

Webdunia
गुरुवार, 31 मार्च 2022 (00:32 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को दिल्ली सरकार पर राजधानी के तीनों नगर निगमों के साथ ‘सौतेला व्यवहार’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तीनों निगमों की नीतियों और संसाधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार इनके एकीकरण के लिए विधेयक लेकर आई है।

शाह ने लोकसभा में यह भी कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को ‘आनन-फानन’ में तीन निगमों में विभाजित करने के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है।

लोकसभा में ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ को चर्चा एवं पारित होने के लिए रखते हुए शाह ने कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्वी नगर निगमों में बांटा गया तो इस फैसले के पीछे की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है।

शाह ने कहा, मैंने फाइलें खंगालीं लेकिन आनन-फानन में किए गए बंटवारे की तत्कालीन सरकार की मंशा के बारे में कुछ पता नहीं चला। कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आया। मेरे पास इसका कोई प्रमाण भी नहीं है कि क्या मंशा रही होगी।

गृहमंत्री ने कहा कि कारण स्पष्ट नहीं होने से लगता है कि इसका राजनीतिक मकसद रहा होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, यहां राष्ट्रपति भवन हैं, संसद है, अनेक दूतावास हैं और इसलिए अनेक बैठकें भी होती हैं तथा राजधानी में अनेक राष्ट्राध्यक्ष भी आते हैं।

शाह ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी है कि नागरिक सेवाओं की जिम्मेदारी तीनों निगम ठीक से उठाएं।उन्होंने कहा कि तीनों निगमों के 10 साल तक अलग-अलग होकर परिचालित होने के बाद यह पता चला है कि तीनों में नीतियों को लेकर एकरूपता नहीं है।

उन्होंने कहा कि एक ही शहर के तीन निगम अलग-अलग नीतियों से चलते हैं। कर्मियों की सेवा शर्तों में भी एकरूपता नहीं है और इन विसंगतियों के कारण कर्मियों में भी असंतोष नजर आया। शाह ने दावा किया कि विभाजन के समय संसाधनों और दायित्वों का विभाजन सोच-विचारकर नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि संसाधनों की दृष्टि से एक निगम हमेशा आगे रहेगा, वहीं बाकी दो की जवाबदेही ज्यादा होगी।गृहमंत्री ने कहा कि इस तरह की अनेक परिस्थितियों से निगमों में चुनकर पहुंचने वाले लोगों को कामकाज में परेशानी होती है।

शाह ने कहा, मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इसके कारण तीनों निगम अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं हो पा रहे।

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए संशोधन विधेयक में तीनों निगमों को एक करने का प्रावधान है क्योंकि संसाधन और सहकारितावादी दृष्टि से एक ही निगम पूरी दिल्ली की नागरिक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो उचित होगा।

इससे पहले सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में ‘दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया था। तब विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस विधेयक को पेश करना इस सदन के विधाई दायरे में नहीं आता है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वर्ष 2011 में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधानसभा द्वारा दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2011 द्वारा उक्त अधिनियम को संशोधित किया गया था, जिससे उक्त निगम का तीन पृथक निगमों में विभाजन हो गया।

इसमें कहा गया कि तत्काल दिल्ली नगर निगम के तीन भागों में विभाजन करने का मुख्य उद्देश्य जनता को अधिक प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली में विभिन्न केंद्रों में सुसंबद्ध नगर पालिकाओं का सृजन करना था, फिर भी दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में विभाजन राज्य क्षेत्रीय प्रभागों और राजस्व सृजन की संभाव्यता के अर्थ में असमान था।

इसमें कहा गया है कि समय के साथ दिल्ली के तीन नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई, जिससे वे अपने कर्मचारियां को वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में अक्षम हो गए। वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में विलंब का परिणाम नगर निगम कर्मचारियों द्वारा निरंतर हड़ताल के रूप में सामने आया, जिसने न केवल नागरिक सेवाओं को प्रभावित किया, बल्कि इससे सफाई और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हुईं।

इसमें कहा गया है कि दिल्ली में तीन समवर्ती नगर निगमों के सृजन का मुख्य उद्देश्य जनता को प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराना था। मसौदे के अनुसार, पिछले 10 वर्षों का अनुभव यह दर्शाता है कि संसाधनों की अपर्याप्तता और निधियों के आवंटन एवं जारी करने की अनिश्चितता के कारण तीनों निगम गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, जिससे उनके लिए वांछित स्तर पर दिल्ली में नागरिक सेवाओं को बनाए रखना कठिन हो गया।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, सरकार देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं प्रदान करने तथा वित्तीय कठिनाइयों एवं क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 लाई है।

इसके तहत तीन नगर निगमों को एकीकृत करने की बात कही गई है। इसमें संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए एक सुदृढ़ तंत्र सुनिश्चित करना तथा दिल्ली के लोगों को अधिक कुशल नागरिक सेवा पूरी तरह पारदर्शिता के साथ प्रदान करने की बात कही गई है।(भाषा) 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख