संसद के विशेष सत्र में आज से महिला आरक्षण बिल पर चर्चा शुरु होगी। इससे पहले मंगलवार को संसद की नई इमारत के श्री गणेश के साथ साथ मोदी सरकार ने लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की गारंटी देने वाला महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया। विधेयक को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में 128वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया। लोकसभा में आज से बिल पर चर्चा शुरु होगी। लोकसभा से पास होने के बाद बिल राज्यसभा जाएग। 22 सितंबर तक चलने वाले संसद के विशेष सत्र में बिल के पास होने की पूरी संभावना है।
क्या है महिला आरक्षण बिल?-केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नाम दिया है। लोकसभा में सरकार की ओर से जो बिल पेश किया गया है उसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण 15 साल के लिए मिलेगा। यानी 15 साल बाद महिलाओं को आरक्षण देने के लिए फिर से बिल लाना होगा।
महिला आरक्षण बिल के संसद से पास होने के बाद लोकसभा और विधानसभा में हर तीसरी सदस्य महिला होगी। वर्तमान में लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 543 में से महिला सदस्यों की संख्या 82 हैं वहीं बिल के संसद से पास होने के बाद कानून बनने से लोकसभा में महिला सदस्यों के लिए 181 सीटें आरक्षित हो जाएंगी। इनमें से 33 फ़ीसदी एससी-एसटी के लिए आरक्षित होंगी। यानी 181 में से एसटी-एससी कैटेगरी की 60 महिला सांसद होंगी। वहीं लोकसभा में पेश बिल के मुताबिक महिला जनप्रतिनिधियों को आरक्षण केवल लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में मिलेगा। संसद के उच्च सदन राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों में यह कानून लागू नहीं होगा।
लोकसभा में बिल पेश करते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी।
बिल पर क्या बोले पीएम मोदी?–लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश होने पर पीएम मोदी ने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
सदन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले नारीशक्ति वंदन विधेयक को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह सपना अधूरा था, ईश्वर ने इसके लिए मुझे चुना है।
महिला आरक्षण बिल कब से होगा लागू?-संसद अगर महिला आरक्षण बिल को विशेष सत्र में अपनी मंजूरी दे देती है तो क्या यह 2024 के लोकसभा चुनाव से लागू हो जाएगा? दरअसल महिला आरक्षण बिल में ही इस बात का उल्लेख है कि यह बिल परिसीमन के बाद लागू होगा। ऐसे में जब 2027 में परिसीमन प्रस्तावित है, तब कानून बनने के बाद भी महिला आरक्षण विधेयक लागू नहीं हो सकेगा। ऐसे में संभावना है कि महिला आरक्षण लोकसभा चुनाव 2029 में लागू हो सकता है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण बिल का लागू होना मुश्किल है। संसद से पारित होने के बाद महिला आरक्षण बिल को कम से कम 50 फीसदी विधानसभाओं से पारित कराना होगा।
2024 में भाजपा को कैसे होगा फायदा?- ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मोदी सरकार इस वक्त महिला आरक्षण बिल क्यों लेकर आई है। दरअसल सियासी नजरिए से 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महिला आरक्षण बिल लाकर मोदी सरकार ने आधी आबादी को साधने के लिए अपना मास्टरस्ट्रोक चल दिया है। बिल के जरिए मोदी सरकार की नजर महिला वोट बैंक पर है जो 2024 में भाजपा के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है। भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में 51 फीसदी वोट शेयर हासिल करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है वह आधी आबादी की वोटर्स से ही पूरा हो सकता है। अगर भाजपा की रणनीति को देखा जाए तो मध्यप्रदेश जैसे चुनावी राज्य में भाजपा सरकार ने चुनाव से ठीक महिला वोट बैंक को साधने के लिए लाड़ली बहना योजना, मुख्यमंत्री लाड़ली बहना आवास योजना और लाड़ली बहनों को 450 रु. में रसोई गैस सिलेंडर देने का एलान बड़ा दांव खेला है।
ऐसे में भाजपा की नजर 2024 लोकसभा चुनाव में महिला वोटरों को रिझाने की है। अगर देखा जाए तो 2019 के आम चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा है। वहीं पिछले तीन साल में महिला वोटर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। भाजपा की नजर इस बढ़े महिला वोट बैंक पर है।
27 साल से अटका था बिल?-दरअसल महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक संसद में 27 साल से लंबित है। 27 साल पहले देवगौड़ा सरकार के समय महिलाओं के संसद और विधानसभा में 33 फीसदी का मुद्दा उठा था। महिला आरक्षण बिल कई बार लोकसभा में पेश भी किया जा चुका है, लेकिन आम सहमति कभी नहीं बन पाई। महिला आरक्षण बिल का मकसद भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना है। भारत में, महिलाओं की लोकसभा में भागीदारी 2023 में केवल 14.5% है, जो विश्व में सबसे कम में से एक है। महिला आरक्षण बिल के पारित होने से उम्मीद है कि महिलाओं की प्रतिनिधित्व में वृद्धि होगी और वे नीति निर्माण में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकेंगी।