नई दिल्ली, नासा के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने बृहस्पति ग्रह के विशालकाय लाल धब्बे (Great Red Spot) में रहस्यमय परिवर्तनों का पता लगाया है।
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	अंतरिक्ष से प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को पता चला है कि बृहस्पति के इस विशालकाय लाल धब्बे वाले क्षेत्र में हवाओं की गति में वृद्धि हो रही है।
									
										
								
																	नासा द्वारा इस संबंध में जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि एक आगे बढ़ने वाले रेसिंग कार चालक की गति की तरह, बृहस्पति के ग्रेट रेड स्पॉट की सबसे बाहरी "लेन" में हवाएं तेज हो रही हैं। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह खोज नासा के हबल स्पेस टेलीस्कॉप द्वारा ही संभव है, जिसने एक दशक से अधिक समय तक ग्रह की निगरानी की है।
									
											
									
			        							
								
																	बृहस्पति के विशालकाय लाल धब्बे वाले क्षेत्र में हवाओं की गति में वृद्धि का क्या अर्थ है? वैज्ञानिकों का कहना है कि "इसका पता लगाना फिलहाल मुश्किल है, क्योंकि हबल टेलीस्कोप तूफान के तल को बहुत अच्छी तरह से नहीं देख सकता है।
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	क्लाउड टॉप के नीचे कुछ ऐसा है, जो डेटा में अदृश्य है।" "लेकिन, यह परिणाम डेटा के दिलचस्प एवं विस्तृत तथ्यों का एक हिस्सा है, जो हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि ग्रेट रेड स्पॉट की ऊर्जा का स्रोत क्या है और यह कैसे अपनी ऊर्जा बनाए रखता है।" हालांकि, उनका कहना यह भी है कि इसे पूरी तरह से समझने के लिए अभी बहुत काम करना बाकी है।
									
					
			        							
								
																	हबल की नियमित "स्टॉर्म रिपोर्ट" का विश्लेषण करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि तूफान की सीमाओं के भीतर हवा की औसत गति, जिसे हाई-स्पीड रिंग के रूप में जाना जाता है, वर्ष 2009 से 2020 तक आठ प्रतिशत तक बढ़ गई है। इसके विपरीत, लाल धब्बे के अंदरूनी क्षेत्र के पास हवाएं काफी धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं, जैसे कोई रविवार के दिन दोपहर की धूप में आलस से दौड़ रहा हो।
									
			                     
							
							
			        							
								
																	बड़े पैमाने पर तूफान के गहरे लाल रंग के बादल 400 मील प्रति घंटे से अधिक की गति से वामावर्त घूमते हैं- और यह भंवर पृथ्वी से भी बड़ा बताया जा रहा है। बृहस्पति पर लाल धब्बा पहले से ही प्रसिद्ध है, क्योंकि इसे 150 से अधिक वर्षों से देखा जा रहा है।
									
			                     
							
							
			        							
								
																	इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के माइकल वोंग का कहना है कि "जब मैंने शुरू में अध्ययन के परिणाम देखे, तो मैंने यही सवाल पूछा कि 'क्या इसका कोई मतलब है?' इसे पहले कभी किसी ने नहीं देखा।" "हबल की लंबी उम्र और इसके माध्यम से चल रहे अवलोकन ने इस रहस्योद्घाटन को संभव बनाया है।"
									
			                     
							
							
			        							
								
																	मैरीलैंड, ग्रीनबेल्ट में स्थित नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक एमी साइमन का कहना है कि हम वास्तविक समय में पृथ्वी पर बड़े तूफानों को बारीकी से ट्रैक करने के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों और हवाई जहाजों का उपयोग करते हैं। "चूंकि हमारे पास बृहस्पति पर तूफानों का पता लगाने के लिए 'स्टोर्म चेजर विमान' नहीं हैं, इसलिए, हम लगातार वहाँ पर चलने वाली हवाओं को माप नहीं सकते हैं।" "हबल एकमात्र टेलीस्कोप है, जिसमें ऐसी भौतिक कवरेज और स्थानिक रिजोल्यूशन का समावेश है, जो बृहस्पति की हवाओं को कैप्चर कर सकता है।"
									
			                     
							
							
			        							
								
																	वोंग ने कहा है कि "हमने पाया कि ग्रेट रेड स्पॉट में औसत हवा की गति पिछले एक दशक में थोड़ी बढ़ रही है।" "हमारे पास एक उदाहरण हैस जहाँ द्वि-आयामी पवन मानचित्र के हमारे विश्लेषण में वर्ष 2017 में अचानक परिवर्तन पाया गया, जब पास में एक बड़ा संवहनी (Convective storm) तूफान था।"
									
			                     
							
							
			        							
								
																	वैज्ञानिकों ने हबल राशि के साथ हवा की गति में परिवर्तन पृथ्वी पर प्रति वर्ष 1.6 मील प्रति घंटे से कम पाया है। साइमन ने कहा है कि "हम इतने छोटे बदलाव के बारे में बात कर रहे हैं कि अगर आपके पास हबल डेटा के ग्यारह साल के आंकड़े नहीं होते, तो हमें नहीं पता होता कि ऐसा हुआ है।" हबल की नियमित निगरानी शोधकर्ताओं को इसके डेटा पर बार पुनर्विचार करने और विश्लेषण करने की सहूलियत देती है, क्योंकि वे इससे सतत् जुड़े रहते हैं। (इंडिया साइंस वायर)