Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

भारतीय सैनिकों के थे पंजाब में मिले 165 साल पुराने कंकाल, डीएनए अध्ययन में किया दावा...

हमें फॉलो करें भारतीय सैनिकों के थे पंजाब में मिले 165 साल पुराने कंकाल, डीएनए अध्ययन में किया दावा...
, गुरुवार, 28 अप्रैल 2022 (17:22 IST)
नई दिल्ली। पंजाब में 2014 में खोदकर निकाले गए 165 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के उन भारतीय सैनिकों के हैं जिनकी 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना ने हत्या कर दी थी। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।

अजनाला शहर के एक पुराने कुएं में बड़ी संख्या में मानव कंकाल मिले थे। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि ये कंकाल 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान हुए दंगों में मारे गए लोगों के हैं।

विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों के आधार पर यह भी कहा जाता है कि ये 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए भारतीय सैनिकों के कंकाल हैं। हालांकि वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के कारण इन सैनिकों की पहचान और वे कहां से नाता रखते थे, इसको लेकर बहस जारी है।

'फ्रंटियर्स इन जेनेटिक्स' में गुरुवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि ये कंकाल गंगा के मैदानी क्षेत्र के सैनिकों के हैं जिनमें बंगाल, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के अनुसार अध्ययन में सामने आए तथ्य 'भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों' के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ते हैं।

डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चौबे ने से कहा कि अध्ययन में 2 तथ्य सामने आए हैं- पहला कि भारतीय सैनिक 1857 के विद्रोह के दौरान मारे गए और दूसरा यह कि वे गंगा के मैदानी क्षेत्र से नाता रखते थे, पंजाब से नहीं।

उन्होंने कहा कि ये किस क्षेत्र से नाता रखते थे, इस बात को लेकर एक बहस चल रही है। कई लोगों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान इनकी हत्या की गई, वहीं इनके 1857 विद्रोह से जुड़े होने का दावा करने वाले भी 2 समूह हैं जिनमें से एक इनको स्थानीय पंजाबी सैनिक बताता है और दूसरा समूह उन्हें मियां मीर छावनी लाहौर में तैनात 26वीं मूल पैदल सेना रेजिमेंट के सैनिक मानता है।

अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन डीएनए विशेषज्ञ नीरज राय ने कहा कि दल द्वारा किया गया वैज्ञानिक शोध, इतिहास को साक्ष्य-आधारित तरीके से देखने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने डीएनए विश्लेषण के लिए 50 नमूनों और आइसोटोप विश्लेषण के लिए 85 नमूनों का इस्तेमाल किया।(भाषा)
File photo

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Xiaomi Pad 5 भारत में हुआ लांच, 26999 रुपए है कीमत, जबर्दस्त फीचर के साथ धमाकेदार ऑफर