नई दिल्ली। भारत ने रूस को सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने का समझौता किया था लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध और आत्मनिर्भर भारत के कारण इस समझौते को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
खबरों के अनुसार भारत अब अधिक से अधिक इस फाइटर जेट के कलपुर्जे को खुद स्वदेशी तकनीक से बनाना चाहता है। यही वजह है कि रूस से लगभग 35 हजार करोड़ रुपये का समझौता फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।
रूसी से आयतित सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना की महत्वपूर्ण ताकत है। एयर फोर्स के बेड़े में 272 सुखोई एमकेआई लड़ाकू विमान है। इसे समय-समय पर रूस से ही मंगवाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के तहत भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कई विदेशी सौदे को रद्द कर दिया है।
एएनआई की एक खबर के अनुसार सरकारी सूत्रों ने बताया कि सुखोई लड़ाकू विमानों के अपग्रेडेशन के अलावा 12 अत्याधुनिक सुखोई-30 एमकेआई विमानों के सौदे में भी कुछ विलंब हो सकता है।
रूस के साथ यह सौदा करीब 20,000 करोड़ रुपए का था। अब भारत मेक इन इंडिया अभियान के तहत इन विमानों में ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी सामान का उपयोग करना चाहता है।
एयरफोर्स की योजना के अनुसार सुखोई-30 एयरक्राफ्ट को अधिक ताकतवर रडार और लेटेस्ट इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं से लैस किया जाना था ताकि यह सबसे आधुनिक स्टैंडर्ड के मुताबिक बन सके। सुखोई-30 MKI भारतीय एयर फोर्स के सबसे महत्वपूर्ण विमानों में से एक है।