नई दिल्ली। यह खबर आपके बेहद काम की है अगर आप किराए के मकान में रहते हैं या आपने अपना मकान किराए पर दिया है तो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किराएदार किसी मजबूरी के चलते किराया नहीं चुका पाता तो इसे क्राइम नहीं माना जा सकता। इसके लिए आईपीसी में कोई सजा मुकर्रर नहीं है। लिहाजा उसके खिलाफ आईपीसी के तहत केस भी दर्ज नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मकान मालिक की तरफ से किराएदार के खिलाफ किए गए केस की सुनवाई करते हुए करते कहा कि किराएदार को अपराधी मानकर उसके खिलाफ मामला नहीं चलाया जा सकता। इसके साथ ही कोर्ट ने केस खारिज कर दिया। यह मामला नीतू सिंह बनाम उत्तरप्रदेश राज्य की याचिका से जुड़ा है जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने सुनवाई की। दिल्ली और मुंबई जैसे तमाम बड़े शहरों में लोग किराए पर रहते हैं और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन लोगों को बड़ी राहत मिली है।