भारत-चीन के बीच 'तनीं तोपें', युद्ध की तैयारी या कुछ और है वजह

Webdunia
बुधवार, 27 मई 2020 (16:05 IST)
डोकलाम विवाद के बाद लगभग तीन साल बाद भारत और चीन एक बार फिर आमने-सामने हैं। पिछली बार डोकलाम विवाद में भूटान भी शामिल था, लेकिन ताजा विवाद लद्दाख को लेकर है। विवाद इस हद तक पहुंच चुका है कि चीन ने करीब 5000 अतिरिक्त सैनिक भारत से लगी सीमा पर तैनात कर दिए हैं। दूसरी ओर, भारत ने भी सेना की तैनाती बढ़ा दी है। हालांकि जानकारों की मानें तो चीन कोरोना (Corona) को लेकर दुनिया भर में हुई किरकिरी से ध्यान बंटाना चाहता है। 
 
इस बीच, रक्षामंत्री ने राजनाथसिंह ने सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर चर्चा की। बताया जा रहा है कि भारत ने तय किया है कि चीन से लगी सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ाई जाएगी। माना जा रहा है कि इस दिशा में काम भी शुरू हो चुका है। भारत चीन को उसी की शैली में जवाब देने का मन बना चुका है। इस बार तनाव का कारण दो इलाके पैंगोंग त्सो का गलवान घाटी और फिंगर 4 क्षेत्र हैं, जहां चीन अतिक्रमण की कोशिश कर रहा है। 
 
बताया जा रहा है कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में न केवल टेंट लगा दिए हैं, बल्कि भारी वाहन और हथियार तैनात कर दिए हैं। लड़ाकू विमानों की तैनाती की खबर भी सामने आ रही है। इसको देखते हुए भारतीय सेना भी चौकन्नी हो गई है।
 
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने संसद में स्वीकार किया था कि लद्दाख के 38 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्से पर है चीन का कब्जा है। इतना ही नहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश में करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर के हिस्से पर अपना दावा करता है। 
 
इस बीच यह भी माना जा रहा है कि चीन की यह करतूत कोरोना (Corona) मामले में दुनिया का ध्यान बंटाने की कोशिश भर है। क्योंकि वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी फैलने के बाद चीन दुनिया के प्रमुख देशों के निशाने पर आ गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो कोरोना को चीन द्वारा छेड़े गए परोक्ष युद्ध की संज्ञा दी थी। ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी समेत अन्य देशों ने भी चीन की भूमिका पर सवाल उठाए थे। 
 
ऐसे में चीन को डर है कि वैश्विक स्तर पर उसका आर्थिक बहिष्कार किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो चीन की अर्थव्यवस्था तबाह हो जाएगी। ऐसे में इस पूरे मामले से ध्यान हटाने के लिए चीन ने सिर्फ भारत बल्कि ताईवान की सीमा पर अपनी सैन्य हरकतें शुरू कर दी हैं।

इतना ही नहीं लिपुलेख मामले में नेपाल की आड़ में भारत पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हालांकि इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि चीन की नीतियां शुरू से ही विस्तारवादी रही हैं और यही कारण है कि उसके अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद हैं। 
 
पूर्व सेनाध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा है कि चीन कोरोना से दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है। चीन चाहता है कि एलएसी उसके मुताबिक तय हो, जबकि इस मामले में दोनों ही देशों की राय अलग-अलग है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य और समकालीन चीन अध्ययन केंद्र के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) एसएल नरसिम्हन ने कहा कि भारत-चीन विवाद कोई नई बात नहीं है। अत: इसे शांतिपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाएगा। भारतीय सेना इस स्थिति से निपटने में सक्षम है। 
 

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