नई दिल्ली। चीन की सेना के कड़े विरोध के बावजूद भारत ने पूर्वी लद्दाख में गलवान नदी पर एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पुल का निर्माण पूरा कर लिया है। सरकार के सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
इस पुल का निर्माण भी क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आक्रामक रुख के कारणों में से एक है जिनकी वजह से दोनों पक्षों के बीच छह सप्ताह से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
क्षेत्र में 60 मीटर लंबा यह पुल श्योक और गलवान नदियों के संगम से पूर्व में करीब चार किलोमीटर दूर स्थित है और संकरे पर्वतीय क्षेत्र को श्योक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग से जोड़ता है।
सूत्रों ने कहा कि यह पुल क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की जल्द आवाजाही में मददगार होगा। उन्होंने कहा कि यह सोमवार रात गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प वाली जगह से बहुत दूर नहीं है।
एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर बताया, यह पुल निश्चित रूप से क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की आवाजाही सुगम करेगा। हमने सैनिकों के बीच गतिरोध तथा चीन की सेना के कड़े विरोध के बावजूद पुल का निर्माण पूरा किया।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। इस सैन्य टकराव के कारण दोनों देशों के बीच क्षेत्र में सीमा पर पहले से ही तनावपूर्ण हालात और खराब हो गए।
सोमवार को हुई झड़प, नाथू ला में 1967 में हुई झड़पों के बाद दोनों सेनाओं के बीच अब तक का सबसे बड़ा टकराव था। नाथू ला में हुई झड़पों में भारतीय सेना के 80 सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे।(भाषा)