भारत ने चीन-पाक को पछाड़ा, MTCR का सदस्य बनने के 5 फायदे...

Webdunia
सोमवार, 27 जून 2016 (11:52 IST)
न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में सदस्यता न मिल पाने के बाद भी भारत को एक कूटनीतिक और सामरिक सफलता मिली जब भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बना लिया गया है। उल्लेखनीय है कि एनएसजी की सदस्यता पाने में मिली असफलता के बाद पहली बार किसी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था (हथियार) में भारत प्रवेश करेगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि पिछले वर्ष इसके लिए अर्जी दी गई थी। सभी प्रक्रिया पूरी हो गई है और सोमवार को विदेश सचिव एस जयशंकर फ्रांस, नीदरलैंड और लक्समबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में दस्तावेज पर दस्तखत करेंगे।
 
जानिए, क्या है (MTCR)एमटीसीआर: 1987 में समूह सात देशों सहित 12 विकसित देशों ने मिलकर अाणविक हथियार से युक्त प्रक्षेपास्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए एक समक्षौता किया था जिसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) कहते हैं।
 
अप्रैल 1987 में स्थापित स्वैच्छिक एमटीसीआर का उद्देश्य बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र तथा अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में उपयोग किया जा सकता है।
 
एमटीसीआर का गठन वर्ष 1997 में दुनिया के सात बड़े विकसित देशों ने किया था। बाद में 27 अन्य देश भी इसमें शामिल हुए हैं। वर्ष 2008 में इस समूह के लिए भारत के आवेदन पर इटली ने आपत्ति की थी। लेकिन इटली के नौसैनिकों को छोड़े जाने के बाद इस बार इटली ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
 
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क्या होंगे फायदे : एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत के लिए एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में आसानी होगी। इस लिहाज से इसे NSG की सद्स्यता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 
रूस की मदद से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस बना चुका भारत इस समूह में शामिल होने के बाद पहली बार अहम हथियार निर्यातक देश बन सकेगा।
 
एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है और अपना मिसाइल किसी और देश को बेच सकता है।
 
रक्षा मामलों के जानकारों के मुताबिक भारत एनएसजी और एमटीसीआर के अलावा वासेनार एरेंजमेंट और ऑस्ट्रेलिया समूह का भी हिस्सा बनने को उत्सुक है।
 
एमटीसीआर का सदस्‍य बनने के बाद भारत अगर पाकिस्‍तान को कोई तकनीक देने से इन्‍कार करता है तो पाकिस्‍तान वह तकनीक किसी अन्‍य सदस्‍य देश से भी नहीं ले पाएगा। इसके बाद भारत उच्‍च स्‍तर की मिसाइल तकनीक खरीद सकेगा।
 
नुकसान भी हैं इसके... पढ़ें अगले पेज पर...
क्या है नुकसान : इसका एक बड़ा नुकसान यह होगा कि इसके बाद भारत अधिकतम 300 किमी मारक क्षमता वाली मिसाइल ही तैयार कर सकेगा। ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके। लेकिन भारत के पास पहले ही हजार किमी मार की क्षमता वाली मिसाइलें हैं।
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