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Pok पर हमला कोई रोक नहीं सकता, आतंकी ट्रेनिंग कैंप तबाह करने का भारतीय सेना का प्लान तैयार, LoC पर खौफ

हालांकि दिक्कत यह आ रही है कि पिछले तीन दिनों से इन कैम्पों को पाक सेना इधर-उधर कर सैटेलाइटों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , बुधवार, 30 अप्रैल 2025 (18:46 IST)
रक्षा सूत्रों के अनुसार पाक कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकवाद के ट्रेनिंग  कैम्पों पर अब हमला अवश्यंभावी है। उनके अनुसार, इस संबंध में ‘हरी झंडी’ मिल गई है और हमले के जवाब में सीमा पार से होने वाली संभावित कार्रवाई से निपटने की तैयारी की जा रही है। हालांकि दिक्कत यह आ रही है कि पिछले तीन दिनों से इन कैम्पों को पाक सेना इधर-उधर कर सैटेलाइटों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।
 
रक्षा सूत्रों के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवाद के ट्रेनिंग कैम्पों पर हमला करने की खातिर भारतीय सेना ने पूरी तैयारी कर ली है। हालांकि एक सूत्र के अनुसार, ट्रेनिंग कैम्पों पर हमला करने तथा उसके परिणामों से देश को बचाने की खातिर की जाने वाली तैयारियों के लिए भारतीय सेना ने कुछ दिनों का समय मांगा है।
 
रक्षाधिकारियों के अनुसार, पाक कब्जे वाले कश्मीर में स्थित ट्रेनिंग कैम्पों पर प्रहार करने की खातिर जो तैयारियां की गई हैं उनमें मिसाइलों की तैनाती से लेकर बोफोर्स तोपों की तैनाती तो शामिल है ही सेना की कई कमांडों यूनिटों को भी इसके लिए तैयार रखा गया है जिन्हें उनके टास्क के बारे में पूरी जानकारी दे दी गई है।
 
अधिकारियों के मुताबिक, इन कैम्पों पर हमला करने के पीछे की हिचकिचाहट विश्व समुदाय का रुख भी है। हालांकि पाकिस्तान तथा अमेरीका आप इसके प्रति आशंका प्रकट करने लगे हैं कि भारत हमले का प्रतिकार करने  की खातिर इन कैम्पों पर हमला करने की पहल कर सकता है।
 
फिलहाल यह सुनिश्चित नही है कि आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर हमले के लिए सभी विकल्पों का एक साथ इस्तेमाल होगा या फिर बारी बारी से उनका प्रयोग किया जाएगा। इन ट्रेनिंग कैम्पों पर हमला कर उन्हें तबाह करने के लिए जो विकल्प सुझाए जा रहे हैं उनमें सबसे प्रमुख जमीन से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों का इस्तेमाल तो है ही कमांडो रेड भी शामिल हैं। हालांकि सेनाधिकारियों का विचार है कि सबसे पहले भारत को बिना एलओसी को लांघे ट्रेनिंग कैम्पों को तबाह करने की कोशिश करनी होगी जिसके लिए मिसाइलों तथा बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल ही सबसे बेहतर माना जा रहा है।
 
यही नहीं, मिसाइलों तथा बोफोर्स तोपों के बाद कमांडो रेड तथा हवाई हमलों के विकल्प को भी खुला रखा गया है। इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल उसी स्थिति में किया जाएगा जब पहले वाले दो विकल्पों से जो टेªनिंग कैम्प बच जाएंगें उन्हें नष्ट करने की खातिर।
 
सूत्रों के अनुसार, भारत इन प्रशिक्षण केंद्रों को तबाह करने के लिए बाद वाले दो विकल्पों का इस्तेमाल करने से परहेज करता है क्योंकि वह जानता है कि उसका अर्थ दुनिया एलओसी को लांघने के रूप में लेगी जबकि सच्चाई यह है कि ऐसा अमेरीका द्वारा भी आतंकवाद के खात्मे की मुहिम के तहत किया जा चुका है।
 
यह बात अलग है कि पाकिस्तान भारत के उस प्रत्येक कदम को अपनी संप्रभुत्ता पर हमले के रूप में लेने की बात कर रहा है जो भारत द्वारा आतंकवाद के प्रशिक्षण केंद्रों को समाप्त करने के लिए उठाए जाने की बात हो रही है। यही कारण है कि सीमाओं पर जबरदस्त तनाव का माहौल बना हुआ है।
 
सच्चाई यह है कि भारत सरकार अपने प्रत्येक उठाए जाने वाले कदम का परिणाम जानती है। वह जानती है कि उसका कोई भी कदम या विकल्प पाकिस्तान के साथ युद्ध के रूप में सामने आएगा। नतीजतन इन परिणामों को ध्यान में रखते हुए ही भारत द्वारा सीमाओं पर सेनाओं को युद्ध के लिए तैयार रखा गया है। हालांकि सेना की तैनाती की पहल पाकिस्तान द्वारा ही गई है। नतीजतन सीमाओं पर मंडरा रहे युद्ध के बादलों के बीच सारे प्रदेश में दहशत और चिंता फैली हुई है जिसमें रात्रि उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों के स्वर और बढ़ौतरी करने लगे हैं।
 
सीमावासियों में खौफ 
पहलगाम हमले के उपरांत पाक सेना द्वारा एलओसी के बाद अब इंटरनेशनल बॉर्डर पर भी मोर्चे खोलते हुए सीजफायर उल्लंघन का जो दायरा बढ़ाया है वह सीमावासियों में डर इसलिए पैदा कर रहा है क्योंकि यह उन्हें युद्ध की आहट लग रही है। सीमा पर रहने वालों के लिए वैसे यह कोई पहला मौका नहीं होगा जब उन्हें जंग की आहट के बीच जीवनयापन करना पड़ रहा है। करगिल युद्ध के बाद संसद पर हुए हमले और पुलवामा हमले के उपरांत भी वे युद्ध की स्थिति में बर्बाद हो चुके हैं पर कोई आर-पार का फैसला नहीं हो पाया था।
 
यही कारण था कि अखनूर क्षेत्र के परगवाल सेक्टर में ग्रामीणों ने बीती देर रात कई राउंड गोलीबारी की आवाज सुनी तो उन्हें दहशत में इसलिए आ जाना पड़ा क्योंकि इस तरह का संघर्ष विराम उल्लंघन 7-8 साल बाद हो रहा है। हालांकि सीमावासी कहते थे कि हमें इन सबकी आदत है, लेकिन अभी हम हाई अलर्ट पर हैं।
 
इसी तरह से कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास बसा हाजीनार गांव पिछले हफ्ते तक अपनी दिनचर्या से गुलजार रहने वाला एक ऐसा ही गांव है। लेकिन 1500 से अधिक आबादी वाला यह सुदूर गांव अब खामोश हो गया है और युद्ध के साये में जी रहा है। दरअसल 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद एलओसी पर गोलीबारी की पुनरावृत्ति ने फरवरी 2021 से भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच संघर्ष विराम समझौते द्वारा लाई गई नाजुक शांति को बिगाड़ दिया है।
 
गोलीबारी की इन घटनाओं से कई गांवों में भय और दहशत का माहौल पैदा हो गया है, जिससे लोग सहमे हुए हैं। जानकारी के लिए पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों ने 25 पर्यटकों और एक स्थानीय टट्टू संचालक की हत्या कर दी थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को कम कर दिया। इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करके पाकिस्तान को पानी देना बंद करना, अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना और भारत में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहना शामिल है। इस बढ़े हुए तनाव ने हाजीनार गांव के जाफर हुसैन लोन जैसे लोगों को सबसे बुरी स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए प्रेरित किया है।
 
गांव के लोगों का कहना था कि गांव में सामुदायिक तथा निजी बंकरों का पुनर्निर्माण कर दिया है तथा लोगों की बाहर आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। पूर्व सरपंच लोन कहते थे कि हम पिछले चार सालों से शांति से रह रहे थे। बंकर बंद थे और धूल जमा हो गई थी। लोग गोले या गोलीबारी के डर के बिना स्वतंत्र रूप से घूम रहे थे, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद हमारे गांव में डर फिर से लौट आया है।
 
बंकरों का पुनर्निर्माण
पिछले कुछ दिनों में एलओसी के इस गांव में चार सामुदायिक भूमिगत बंकरों का पुनर्निर्माण किया गया है, जिनका निर्माण पिछले दशक में केंद्र सरकार द्वारा किया गया था। नागरिक आबादी की सुरक्षा के लिए भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में लगभग 14,460 बंकरों (सामुदायिक और व्यक्तिगत) का निर्माण किया गया। अन्यथा, पिछले तीन दशकों से अधिक समय में गोलाबारी और गोलीबारी के कारण पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग हताहत और घायल हुए हैं।
 
इसके अलावा इससे संपत्तियों और आजीविका का नुकसान हुआ और हजारों ग्रामीणों को सुरक्षा के लिए अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन सामुदायिक बंकरों में दो कमरे और एक शौचालय था, जिसमें 100 लोग रह सकते थे, जिससे उन्हें अपने गांवों के ऊपर से उड़ते गोले से कुछ सुरक्षा मिली।
 
परगवाल के अमन सिंह कहते थे कि कल रात करीब 8.30-9 बजे 3-4 राउंड फायरिंग की गई। हम अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी हमें सब कुछ बंद करके अपने घर वापस जाने के लिए कहा गया। उसके बाद कुछ नहीं हुआ। उन्होंने आगे कहा कि 50 प्रतिशत फसल अभी भी कटनी बाकी है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना के अनुसार बीती रात को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार जम्मू कश्मीर के कई सेक्टरों में अपनी चौकियों से पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की गई। इसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया।
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नरेश शर्मा कहते थे कि कल जब गोलियां चलाई गईं तो हम अपने खेतों में काम कर रहे थे, तभी हमें फोन आया कि सब कुछ रोककर अपने घर वापस लौट जाएं। जबकि जारी एक बयान में भारतीय सेना ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने जम्मू क्षेत्र के नौशहरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों में भारतीय ठिकानों को निशाना बनाया। बाद में कहा गया कि बारामुल्ला और कुपवाड़ा जिलों में उत्तर में और साथ ही परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पार भी इसी तरह के संघर्षविराम उल्लंघन दर्ज किए गए।

पाकिस्तान को करारा जवाब 
हालांकि भारतीय सेना के जवानों की ओर से भी जवाबी कार्रवाई की गई। इसके साथ ही पाकिस्तानी सेना ने उत्तरी कश्मीर में बारामुला और कुपवाड़ा में एलओसी पर और परगवाल सेक्टर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की। पर दहशत का माहौल उन्हें घुट घुट कर जीने को मजबूर कर रहा हे क्योंकि वर्ष 2001 से वे आर-पार की लड़ाई के प्रति सुन तो रहे हैं पर वह अभी तक नहीं हुई है। Edited by: Sudhir Sharma

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