India's bioeconomy grew 8 times in 8 years : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था पिछले 8 वर्षों में 8 गुना होकर 80 अरब डॉलर हो गई है। उन्होंने कहा कि देश ने 2030 तक जैव अर्थव्यवस्था को 600 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
मंत्री जैव प्रौद्योगिकी : विकसित भारत के लिए नवाचार और कल्याण का मार्ग विषय पर प्री-वाइब्रेंट गुजरात सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, पिछले आठ साल में भारतीय जैव अर्थव्यवस्था आठ गुना होकर 80 अरब डॉलर हो गई है, जो पहले 10 अरब डॉलर थी।
उन्होंने कहा, भारत ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को 2025 तक 150 अरब डॉलर और 2030 तक 600 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। देश के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 760 से अधिक कंपनियां 4,240 स्टार्टअप इकाइयां हैं। आगामी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के हिस्से के रूप में आयोजित एक सेमिनार में उन्होंने कहा कि देश जैव प्रौद्योगिकी वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष 10 में शामिल होने से बहुत दूर नहीं है।
मांडविया ने कहा, जैव प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य उपचार के लिए सबसे बड़ा आधार बनेगी और कृषि, पर्यावरण, औद्योगिक उत्पादन और ऐसे कई क्षेत्रों में जटिल सवालों को हल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों के कारण अर्थव्यवस्था जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी। उन्होंने कहा, कोविड-19 के लिए पांच टीके विकसित करके, भारत ने दुनिया को अपनी जैव प्रौद्योगिकी कौशल दिखाया और यह देश में उपलब्ध जैव प्रौद्योगिकी कौशल के कारण संभव हुआ।
सेमिनार में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी तेजी से बढ़ती आशा की तकनीक है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात ने वर्ष 2004 से जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने कहा कि देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक स्वर्ण युग शुरू हो गया है और गुजरात भी इसमें अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है। पटेल ने विश्वास जताया कि विकसित गुजरात के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र महत्वपूर्ण साबित होगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour