नई दिल्ली। भारतीय थलसेना ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए अपने 20 कर्मियों के सम्मान में एक स्मारक बनाया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। यह स्मारक पूर्वी लद्दाख के पोस्ट 120 में स्थित है और इस हफ्ते की शुरुआत में इसका अनावरण किया गया था।इस पर ‘स्नो लियोपार्ड’ (हिम तेंदुआ) अभियान के तहत ‘गलवान के वीरों’ के बहादुरी भरे कारनामों का उल्लेख किया गया है।
इस पर यह उल्लेख भी किया गया है कि किस तरह से भारतीय सैनिकों ने ‘चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) को झड़प में भारी नुकसान पहुंचाते हुए इलाके को मुक्त कराया। चीन ने अभी यह संख्या सार्वजनिक नहीं की है कि झड़प में उसके कितने सैनिक मारे गए या घायल हुए।
हालांकि उसने अपने सैनिकों के हताहत होने की बात आधिकारिक रूप से स्वीकार की है। एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे। पोस्ट 120 श्योक-दौलत बेग ओल्डी मार्ग पर स्थित है। इकाई स्तर के स्मारक पर थलसेना के सभी 20 शहीद कर्मियों के नाम लिखे गए हैं।
झड़प में शहीद हुए सैन्यकर्मियों में कर्नल बी संतोष बाबू भी शामिल थे जो 16वीं बिहार रेजीमेंट से थे। गलवान घाटी झड़प में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैन्यकर्मियों पर पत्थरों, कील लगे डंडों, सरिया आदि से नृशंस हमला किया था। दरअसल, भारतीय सैनिकों ने घाटी में गश्ती बिंदु (पीपी) 14 के आसपास चीन द्वारा एक निगरानी चौकी स्थापित किए जाने का विरोध किया था।
सेना ने स्मारक के फलक पर ‘स्नो लियोपार्ड’ अभियान का संक्षिप्त विवरण भी दिया है। इसमें कहा गया है कि कर्नल बाबू ने 16वीं बिहार रेजीमेंट के ‘त्वरित प्रतिक्रिया बल’ और ‘वाई नाला’ में सामान्य इलाके से चीनी सैनिकों के समूह को हटाने के कार्य पर लगाए गए सैनिकों का नेतृत्व किया तथा उन्हें (चीनी सैनिकों को) गश्ती बिंदु 14 की ओर आगे बढ़ने से रोक दिया।
थलसेना ने लिखा है कि भारतीय सैन्य टुकड़ी ने सफलतापूर्वक वाई नाला से पीएलए की चौकी को खाली करा दिया तथा वे पीपी 14 पहुंचे, जहां भारतीय थलसेना और पीएलए के सैनिकों के बीच झड़प हुई। कर्नल बी संतोष बाबू ने नेतृत्व संभाला और उनके सैनिक बहादुरी से लड़े, जिसमें पीएलए के कई सैनिक हताहत हुए। इस लड़ाई में 20 ‘गलवान के वीर’ शहीद हो गए। स्मारक पर 20 सैन्यकर्मियों की सूची में तीन नायब सूबेदार, तीन हवलदार और 12 सिपाही शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय ने कर्नल बाबू और अन्य सैनिकों के नाम दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर भी उकेरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। गलवान झड़प के बाद चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच पैदा हुआ गतिरोध अब भी कायम हैं। हालांकि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ता हुई है लेकिन गतिरोध समाप्त करने के लिए अब तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है।(भाषा)