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देश के ये 10 खजाने खुल जाए तो हर ‘भारतीय’ हो जाएगा ‘करोड़पति’

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, गुरुवार, 30 जुलाई 2020 (16:26 IST)
'भारत को सोने की चि‍ड़ि‍‍या यूं ही नहीं कहा जाता। इस धरती की कोख में इतना अकूत धन गढ़ा है कि उसका कुछ प्रतिशत ही जमीन से बाहर निकाल लिया जाए तो 130 करोड़ लोगों के खातों में लाखों नहीं बल्‍क‍ि करोड़ों रुपए जमा हो सकते हैं' 


कई बार आपने लोगों से सुना होगा कि भारत एक गरीब देश है। इसके साथ ही हमने अपने पूर्वजों को यह कहते भी सुना कि भारत ‘सोने की चिड़ि‍‍या’ है। सोने की ‘खान’ है।

एक तरफ गरीब देश और दूसरी तरफ ‘सोने की चिड़ि‍‍या’ आखि‍र यह दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती है?

लेकिन भारत के संबंध में यह दोनों ही धारणाएं एक सच है। दरअसल, भारत गरीब जनता के साथ ही राजाओं का, मुगलों का, शासकों का और मंदिरों का देश रहा है।

इन राजाओं और शासकों ने अपने जीवनकाल में इतना धन जुटाया कि उसका न तो अंदाजा लगाना और न ही आखों से देखना ही मुमकिन है।

इतना कि अब यह दुनिया के सबसे बड़े खजानों में तब्‍दील हो गया है। यह कहना बि‍ल्‍कुल भी गलत नहीं होगा कि भारत की धरती में इतना धन गढ़ा है कि उसे निकाला जाए तो 130 करोड़ जनसंख्‍या वाले भारत देश का हर एक आदमी करोड़पति‍ बन सकता है।

आइए जानते हैं भारत के ऐसे ही 10 सबसे बड़े खजानों के बारे में।

1.मान सिंह का खजाना (जयपुर)
मान सिंह अकबर की सेना के कमांडर और जयपुर के शासक थे। इसके साथ ही वे अकबर के राजसी कोर्ट के नौ रत्नों में से एक थे।  1580 में अफगानिस्तान से लौटने पर मान सिंह ने लूट कर लाई गई संपत्ति अकबर को नहीं दी थी। उन्होंने जयपुर स्थित जयगढ़ के किले में इसे छुपा दिया था।

ऐसा माना जाता है कि खजाने को किले के अंदर मौजूद अंडरग्राउंड टंकियों में छुपाया गया था। आपातकाल के दौरान इंदि‍रा गांधी ने इस किले में मौजूद खजाने की खोज कराई थी। आधिकारिक रिपोर्ट में खजाने की खोज को असफल बताया गया था। खोज अभियान के 6 महीने बाद जयपुर-दिल्ली रोड को आम आदमी के लिए बंद कर दिया गया था। इसका क्या हुआ कोई नहीं जानता।

2.पद्मनाभ मंदिर का खजाना
2011 में इसका खुलासा हुआ। दक्षिण भारत के पद्मनाभ मंदिर में छिपा था 5,00,000 करोड़ का खजाना है, जिसे गिनने में आधुनिक मशीनें और कई लोगों की टीमें लगीं। फिर की तहखाने से पाए गए खजाने में से कुछ तहखाने को खोलकर देखने की मनाही थी, क्योंकि मंदिर प्रशासन और भक्तजनों को किसी अननोही घटना और अशुभ के होने का डर था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। यह खजाना त्रावणकोर के महाराजा का बताया जाता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह खजाना त्रावणकोर के राजपरिवार को सौंपा है।

3.मोक्कम्बिका मंदिर का खजाना (कोलूर)
कर्नाटक के पश्‍चिमी घाट में कोलूर में स्थित मोक्कम्बिका मंदिर में भी खजाना दबा होने का दावा किया जाता है। खजाने के दावे से इतर मंदिर में रखे जवाहरात की कीमत ही लगभग 100 करोड़ रुपए बताई जाती है। मान्यता अनुसार मंदिर के खजाने की सांप रक्षा करते हैं। यहां एक चेंबर में सांप का निशान बना हुआ है।

4.सोन भंडार गुफा (बि‍हार)
यह गुफा बिहार के छोटे से शहर राजगीर की वैभरगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित गुफा है। यहीं पर बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। किंवदंतियों के मुताबिक सोन भंडार गुफा में भरा है सोने और बहुमूल्य खजाने का अकूत भंडार। ऐसा माना जाता है कि खजाना एक 10.4x5.2 मीटर आयाताकार मजबूत कोठरी में कैद है जिसका रास्ता शायद किसी को पता नहीं।

इस गुफा में दो कक्ष बने हुए हैं। ये दोनों कक्ष पत्‍थर की एक चट्टान से बंद हैं। कक्ष सं. 1 माना जाता है कि सुरक्षाकर्मियों का कमरा था, जबकि दूसरे कक्ष के बारे में मान्‍यता है कि इसमें सम्राट बिम्बिसार का खजाना था। यह भी कहा जाता है कि यह खजाना जरासंध का था।

तमिल भाषा की एक कविता और कथासरित्सागर अनुसार नंद की '99 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं' का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि उसने गंगा नदी की तली में एक चट्टान खुदवाकर उसमें अपना सारा खजाना गाड़ दिया था।

5.नादिर शाह का खजाना (हिंदूकुश पर्वत)
1739 में नादिर शाह ने भारत पर हमला कर दिल्ली पर में खूब लुटपाट की थी। कहते हैं कि लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ ही लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और जवाहरात ले गया था।

कहते हैं कि खजाना इस भारी मात्रा में था कि वह संपूर्ण खजाने पर नजर नहीं रख पाता था और इतने सारे खजाने को ले जाना भी कठिन था। ऐसे में उसके सिपहसालारों ने इस खजाने का एक हिस्सा हिंदूकुश पर्वत की किसी गुफा में कहीं छिपा दिया था, जो आज तक नहीं मिला है।

पहले सिकंदर आया था फिर चंगेज खां इसके बाद भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमणकारी था मुहम्मद बिन कासिम। उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों और लुटेरों की फौज की फौज भारत में घुसी और भारत को तहस-नहस कर लूट ले गई। कहा जाता है कि सोमनाथ का मंदिर मोहम्मद गजनवी ने लूटा था। उसमें ढेर सारा सोना था। बाबर भी यहां लूटने ही आया था।

6.जहांगीर का खजाना (अलवर)
राजस्थान के अलवर में मुगल बादशाह जहांगीर का खजाना दबा होने की बात कही जाती है। कहते हैं कि जहांगीर अपने निर्वसन के दौरान इस क्षेत्र में था और उसने यहीं के जंगलों में किसी गुप्त स्थान पर अपना खजाना दबा रखा था।

7.कृष्णा नदी का खजाना (गुंटूर)
कहते हैं कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय क्षेत्र बहुत समय से हीरों के लिए विख्यात रहे हैं। पहले यह क्षेत्र गोलकुंडा में शामिल था। यहीं से कोहिनूर हीरा निकला था। आज भी यहां कई हीरे दबे हुए हैं।

8.चार मीनार गुफा (हैदराबाद)
चार कमान घासी बाजार हैदराबाद तेलंगाना में एक गुफा है जो चार मीनार को गोलकुंडा से जोड़ती है। यह गुफा सुल्तान मोहम्मद कुली कुतबशाह ने बनवाई थी। यह गुफा अंग्रेजों के आक्रमण के समय राज परिवार को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बनाई गई थी। कहते हैं कि इसी गुफा के किसी चेंबर में खजाना दबा हुआ है।

9.मीर उस्मान अली का खजाना
किंग कोठी रोड, ओल्ड एमएलए क्वाटर किंग कोठी हैदरगुड़ा, हैदराबाद तेलंगाना। हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली के पास अकूत धन संपत्ति थी। कहते हैं कि उसने इसी कोठी में कहीं अपना खजाना दबा दिया था।

10.धनगांव में खजाना
मान्‍यता है कि राजस्थान के एक गांव धनगवां में हर कदम पर खजाना दबा हुआ है। यह गांव राजस्थान के जबलपुर में स्थित है। यहां खजाना ढ़ूंढ़ने के लिए बाहर से भी लोग आते हैं। गांव के लोगों का दावा है कि यहां जहां भी खुदाई की जाए वहां खजाना मिलेगा। इस गांव में इतना खजाना है कि पूरे जबलपुर की काया पलटी जा सकती है।

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