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रोज 5 घंटे मोबाइल पर बिता रहे भारतीय, मोबाइल का मायाजाल जकड़ रहा जिंदगी, ये रिपोर्ट कर रही अलर्ट

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हमें फॉलो करें Side Effects Of Mobile

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 29 मार्च 2025 (17:15 IST)
रील्‍स, इंस्‍टाग्राम, फेसबुक, व्‍हाट्सऐप, यूट्यूब, डेटिंग एप्‍प, ओटीटी, गेम्‍स और जाने क्‍या क्‍या। बस नाम लेते जाओ और सोशल मीडिया की फेहरिस्‍त लंबी होती जाएगी। कुल मिलाकर इंसान की पूरी जिंदगी मोबाइल के इर्दगिर्द सिमट कर रह गई है। हर दो मिनट में आदमी अपनी जेब से मोबाइल निकालकर देखता है, चाहे कोई जरूरत हो या न हो। अंदाजा लगा लीजिए कि मोबाइल की यह लत इंसानों के लिए कितनी खतरनाक होती जा रही है।

मोबाइल की लत को लेकर ही हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। दरअसल, मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 में भारतीयों ने अपने मोबाइल फोन पर कुल 1.1 लाख करोड़ घंटे बिताए। सस्ते इंटरनेट की वजह इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स को देश की विशाल आबादी के लिए आसानी से सुलभ बना दिया है।

रोज़ाना 5 घंटे मोबाइल पर : रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि औसतन हर भारतीय रोज़ाना 5 घंटे अपनी मोबाइल स्क्रीन पर बिता रहा है, जिसमें से करीब 70% समय सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग पर खर्च हो रहा है। इस लत या कहें कि आदत ने डिजिटल चैनलों को भारत के 2.5 लाख करोड़ रुपए (29.1 अरब डॉलर) के मीडिया और मनोरंजन उद्योग में सबसे बड़ा हिस्सा बना दिया है। पहली बार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने टेलीविज़न को पीछे छोड़ दिया है।

तीसरे नंबर पर भारत : भारत में मोबाइल पर बिताया गया औसत दैनिक समय इंडोनेशिया और ब्राज़ील के बाद तीसरे स्थान पर है, लेकिन कुल घंटों के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाज़ार बन गया है। यही वजह है कि मेटा, अमेज़ॅन, मुकेश अंबानी और एलन मस्क जैसे दिग्गज इस बाज़ार पर कब्ज़ा करने की होड़ में लगे हैं।

और बढेगी मोबाइल की लत : ईवाई इंडिया के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के प्रमुख आशीष फेरवानी ने अपनी रिपोर्ट में कहा— भारत अब एक डिजिटल मोड़ बिंदु पर खड़ा है। उनके मुताबिक आने वाले समय में डिजिटल व्यवसाय मॉडल्स, साझेदारियां और उद्योग में समेकन तेज़ी से बढ़ेगा। देश की लगभग 40% आबादी, यानी 56 करोड़ लोग, अब स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो अमेरिका और मेक्सिको की कुल आबादी से भी ज़्यादा है। 2024 में 5G यूज़र्स की संख्या दोगुनी से ज़्यादा बढ़कर 27 करोड़ हो गई, जिसमें 40%
पारंपरिक मीडिया का पतन और भविष्य की उम्मीद है।

3.1 लाख करोड़ तक पहुंचेगा: रिपोर्ट के मुताबिक टेलीविज़न, प्रिंट और रेडियो जैसे पारंपरिक मीडिया की आय और बाज़ार हिस्सेदारी 2024 में घट गई, जबकि कॉन्सर्ट और क्रिकेट टूर्नामेंट जैसे लाइव इवेंट्स ने उद्योग को बढ़ाने में योगदान दिया। ईवाई का अनुमान है कि 2027 तक यह क्षेत्र 3.1 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा।

डिजिटल क्रांति भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी : IMC 2024 के आयोजक रामकृष्ण पी. ने कहा— यह आयोजन भविष्य की तकनीकों पर चर्चा और नवाचारों को प्रदर्शित करने का एक मंच बन गया है। 1.75 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी ने इसे अभूतपूर्व सफलता दिलाई। यह साफ है कि डिजिटल क्रांति अब भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह स्क्रीन टाइम देश को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा या नई चुनौतियां खड़ी करेगा?

हालांकि यह डिजिटल क्रांति भारतीय बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य से भी खिलवाड कर रही है। आए दिन बच्‍चे मोबाइल की लत की वजह से बीमार हो रहे हैं। गेम्‍स में दिए गए टारगेट को अचिव करने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाने के लिए तैयार है। इस बारे में कुछ सोचना होगा।
Edited By: Navin Rangiyal

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