भारतीय नौसेना में कलवरी क्लास सबमरीन पनडुब्बी INS वागीर को सोमवार को शामिल किया गया। भारतीय नौसेना की ताकत को और बढ़ाने के मकसद से आईएनएस वागीर को सेना में शामिल किया गया है। आईएनएस वागीर, कलावरी क्लास की पांचवी सबमरीन है।
परियोजना-75 के तहत पहली सबमरीन INS कलवरी को भारतीय नौसेना में दिसंबर 2017, दूसरी सबमरीन INS खंडेरी को सितंबर 2019 में, तीसरी सबमरीन INS करंज को मार्च 2021 में और चौथी INS वेला को नवंबर 2021 में सेवा में शामिल किया गया था। जबकि आखिरी सबमरीन वाग्शीर को 2023 के अंत तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।
क्या है इसकी खासियत?
यह पनडुब्बी 221 फुट लंबी, 40 फुट ऊंची, गहराई 19 फुट, 1565 टन का वजन है। इसमें लगभग 11 किलोमीटर लंबी पाइप फिटिंग है। लगभग 60 किलोमीटर की केबल फिटिंग की गई है। स्पेशल स्टील से बनी सबमरीन में हाई टेंसाइल स्ट्रेंथ है जो पानी की गहराई में पहुंचकर काम करने में सक्षम है। इसकी विशेषता है कि यह 45-50 दिन तक पानी में रह सकती है। स्टील्थ टेक्नोलॉजी की वजह से यह रडार की पकड़ में नहीं आती और हर मौसम में काम कर सकती है।
बता दें कि आईएनएस वागीर में 360 बैटरी सेल्स हैं। प्रत्येक बैटरी सेल्स का वजन 750 किलो के करीब है। इन्ही बैटरियों के दम पर आईएनएस वागीर 6500 नॉटिकल माइल्स यानी करीब 12000 किमी का रास्ता तय करना सकता है। इसके भीतर दो 1250 केडब्ल्यू डीजल इंजन है। ये सबमरीन 350 मीटर तक कि गहराई में जाकर दुश्मन का पता लगा सकती है। इसके टॉप स्पीड की बात करे तो ये 22 नोट्स है।
आपको बता दें कि इस सबमरीन वागीर को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। सबसे ज़रूरी इसके पीछे के हिस्से में magnetised propulsion मोटर जिसकी तकनीक को फ्रांस से लिया गया है, इसकी वजह से इसके अंदर से आने वाली आवाज़ को बाहर नहीं आने दिया जाता है। यही वजह है कि दुश्मन के खोजी जहाज हो या सबमरीन या वॉर वेसल्स को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। इसी वजह से इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
edited by navin rangiyal