लखनऊ, विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) गठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है।
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जैसे ही प्रदेश के सभी फ्रंटल संगठनों को रद्द किया पार्टी की अंतर्कलह सामने आ गई। रालोद केयूपी चीफ मसूद अहमद ने 7 पन्नों का पत्र लिखकर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
मसूद अहमद का आरोप है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने पैसे लेकर टिकट बांटे। मसूद अहमद का कहना है कि हापुड़ की सीट 8 करोड़ रुपये में बेची गई थी।
अपने पत्र में मसूद अहमद ने मुसलमानों और दलितों को दरकिनार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि गठबंधन के नेताओं ने मुसलमानों और दलितों की अनदेखी हुई। इतना ही नहीं चंद्रशेखर आजाद को साथ न लेना भी एक बड़ी भूल थी।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों और दलितों के मुद्दों पार्टी नेताओं द्वारा चुनाव में नहीं उठाया गया। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष ने लेटर में कहा है कि इमरान मसूद जैसे नेताओं को अपमानित कर अखिलेश जी अपनी छवि मुसलमानों में धूमिल कर रहे हैं। मुसलमान और अन्य वर्ग कब तक मजबूरी में हमें वोट देगा. जनता के बीच रहना ही मुलायम सिंह की कुंजी रही है, सिर्फ चुनाव के वक्त निकलना भी जनता को नागवार गुजरता है।
मसूद ने पत्र में लिखा है कि चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा। पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग करने लगे। उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी को इसकी सूचना दी गई तो उन्होंने भी इसे पार्टी हित में बताया।
मसूद लिखते हैं, ”दिन में 2 बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन 4 बजे हापुड़ विधानसभा सीट से टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। हापुड़ विधानसभा में 8 करोड़ रुपए लेकर टिकट बेचे जाने की बात से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ, जिसकी मैंने आपको सूचना दी थी
मसूद ने आगे लिखा, 'माठ पर हमने भी उम्मीदवार उतारा। लेकिन संजय लाठर ने आपसे मुलाकात की और तत्काल आपने माठ पर दावेदारी वापस ले ली। इससे जाट भाइयों में यह संदेश गया कि आप अखिलेश के सामने कमजोर पड़ रहे हैं और सरेंडर कर रहे हैं।
अपनी गृह सीट बेच दिए जाने पर जाट मत तत्काल आधे हो गए। मेरे द्वारा आपको लगातार ये बताया गया कि जाट कौम अत्यंत संवेदनशील है और उनमें यह संदेश जा रहा है कि अखिलेश आपको और पार्टी को अपमानित कर रहे हैं। लेकिन धन संकलन के आगे पार्टी बेच दी गई और नतीजा यह कि जाट मत नाराज होकर 2/3 से अधिक बीजेपी में चले गए'
मसूद अहमद ने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव से अपने इस पत्र का 21 मार्च तक जवाब मांगा है। उन्होंने लेटर में कहा है कि यदि इन सवालों के जवाब नहीं दिए जाते हैं तो इसे उनका प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा समझा जाए।