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अयोध्या से धनुषकोडी, राम वन गमन पथ की यात्रा, 45 दिन, 8700 किलोमीटर

मध्यप्रदेश में खरगोन जिले के कर्पे दंपति अयोध्या से रामेश्वर की यात्रा पर निकले हैं

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संदीप श्रीवास्तव

, रविवार, 9 मार्च 2025 (08:09 IST)
Journey from Ayodhya to Dhanushkodi: मध्यप्रदेश के खरगोन निवासी शिक्षाविद दिलीप कर्पे और उनकी पत्नी स्वाति अयोध्या से धनुषकोडी तक 45 दिनों मे 8700 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। कर्पे दंपति की यह धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा उसी मार्ग से होगी, जिससे प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण वन के लिए गए थे और फिर तमिलनाडु के धनुषकोडी (रामेश्वरम) तक गए थे। कर्पे दंपति यह दूरी कार से तय करेंगे। बीच- बीच में रुककर राम से जुड़ी जानकारियां भी जुटाएंगे। 
 
यात्रा पर निकलने से पहले कर्पे दंपति ने अयोध्या में 'वेबदुनिया' से खास बात करते हुए कहा कि हम राम वन गमन पथ यात्रा पर निकले हैं। प्रभु राम को जब वनवास हुआ था और वे जिस-जिस मार्ग से अयोध्या से रामेश्वरम तक गए थे, उसी मार्ग से हम दोनों लोग जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारी यात्रा अयोध्या के दशरथ महल से प्रारंभ होकर 10 राज्यों से गुजरेगी। इस दौरान हम 232 स्थान, जहां पर श्रीराम के चरण कमल पड़े थे, वहां की रज अपने माथे से लगाएंगे। फिर रामेश्वरम पहुंचेंगे। इस दौरान हम 45 दिनों में 8700 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। 
 
लोगों में जगे रामत्व का भाव : यात्रा के उद्देश्य के बारे में चर्चा करते हुए दिलीप कर्पे ने कहा कि हमारी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य श्रीराम के जो आदर्श गुण हैं, वे गुण सभी में आएं, लोगों में रामत्व का भाव जागृत हो और रामत्व बढ़े। हम उन सभी स्थानों पर जाएंगे, जहां कला व संस्कृति तथा रामायणकालीन अवशेष मौजूद हैं। इस दौरान हम श्रीराम वन गमन के उन चिन्हों को देखेंगे, साथ ही राम के आदर्शों को सब जगह बांटने का काम करेंगे। स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को राम के आदर्शों के बारे में बताएंगे, जो कि देश के लिए जरूरी है। 
 
यह एक शोध यात्रा भी है : कर्पे ने कहा कि वास्तव में यह एक शोध यात्रा है। इसके पहले जब हमने नर्मदा यात्रा यात्रा की थी, तब हम दोनों साथ थे। जब हम दोनों साथ होते हैं तो यात्रा का आनंद द्विगुणित हो जाता है। चूंकि यह शोध यात्रा है, इस दौरान हम विभिन्न प्रकार की जानकारी अर्जित करेंगे। मेरी पत्नी यात्रा की फोटोग्राफी करती हैं। मैं बाकी सारे कार्य करता हूं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की जो विशेषताएं धीरे-धीरे विलुप्त हो रही हैं, उनको पुनः जागृत करने का काम इस यात्रा के दौरान करेंगे। हमारी कोशिश यह भी रहेगी कि हम प्रतिदिन यात्रा का विवरण लिपिबद्ध करें।
 
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से 3000 से अधिक लोग हमारे साथ जुड़े हैं। उन्होंने कहा अयोध्या में हमने रामलला के दर्शन के साथ ही सरयू स्नान भी किया। प्रभु राम से जुड़े अन्य पावन स्थलों का भी दर्शन किया।  उनकी पत्नी ने कहा कि मुझे इस यात्रा में इनके साथ बहुत अच्छा लग रहा है। हम चाहते हैं कि जो हमारी संस्कृति है, इसको आगे आने वाली पीढ़ी संजोकर रखे, उसे बढ़ाए व उसको समझे, ताकि हम उनको एक संस्कारिक जीवन दे सके।
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यह मार्ग अपने आप में अनूठा : दिलीप कर्पे कहा कि निश्चित रूप से अयोध्या में जब से राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से लगातार लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीराम वन गमन का पथ कई लोगों ने बनाया है, लेकिन अभी भी बहुत सी जगह छूटी हुई हैं। हम इस राम पथ को बाल्मीकि रामायण में जो वन गमन पथ है, उसको मुख्य मार्ग मानकर यात्रा कर रहे हैं। इसके अंतर्गत 10 अभयारण्य, 36 नदिया, 10 पर्वत श्रेणियां, जिसे वर्तमान नक्शे पर ढूंढकर उन सभी जगहों को चिन्हित किया गया, जहां रामयणकालीन प्रसंग मौजूद हैं। इस कारण से यह मार्ग अपने आप में अनूठा मार्ग है, जिसके बन जाने के बाद बहुत सारे लोग राम वन पथ की यात्रा भी करेंगे, जिससे उनका ज्ञान बढ़ेगा साथ ही वैभव भी बढ़ेगा। 
 
प्रदेश के 16 शिक्षकों का संकल्प : उन्होंने यह भी बताया कि इस यात्रा के पूर्व प्रदेश के 16 शिक्षकों ने मिलकर एक संकल्प लिया था कि शिक्षा में रामत्व कैसे बढ़े? इसे ध्यान मे रखकर चित्रकूट से अयोध्या तक 300 किलोमीटर की यात्रा 12 दिनों मे पूर्ण की थी। इन 12 दिनों में हम सभी शिक्षकों ने अलग-अलग जाकर श्रीराम के आदर्श की बात की। लोगों से भी मिले। इस दौरान हमने ज्ञान का संग्रह किया और उसे अपने-अपने विद्यालयों मे विद्यार्थियों में वितरित किया। इस यात्रा के पीछे हमारा उद्देश्य था कि हमारा देश भारत फिर से उसी शिखर पर पहुंचे जहां था और उसी के बाद हमने यह निर्णय लिया था कि राम वन गमन पथ की यात्रा भी करेंगे।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala  

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