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महिला आरक्षण बिल : जेपी नड्‍डा बोले- सरकार ने चुना सबसे छोटा और सही रास्ता

हमें फॉलो करें JP Nadda on women reservation bill
, गुरुवार, 21 सितम्बर 2023 (14:44 IST)
नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राज्यसभा में कहा कि महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने जो रास्ता चुना है, वह सबसे छोटा और सही रास्ता है।
 
राज्यसभा में ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए नड्डा ने कहा कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण सुनिश्चित करने वाला संविधान संशोधन विधेयक यदि आज संसद से पारित हो जाता है तो 2029 में लोकसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं की मौजूदगी सुनिश्चित हो जाएगी।
 
विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक को अभी ही लागू किए जाने की मांग का उल्लेख करते हुए नड्डा ने कहा कि कुछ संवैधानिक व्यवस्थाएं होती हैं और सरकारों को संवैधानिक तरीके से काम करना होता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए दो चीजें आवश्यक हैं, पहला, जनगणना और फिर न्यायिक निकाय के माध्यम से जन सुनवाई।
 
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि ने कहा कि सीट निकाली जाए, नंबर निकाला जाए और उसको निकालने के बाद उसको आगे बढ़ाया जाए। आखिर हमें महिलाओं को आरक्षण मुहैया कराना है। किस सीट पर उन्हें आरक्षण मिले, किस सीट पर ना मिले, इसका फैसला कौन करेगा? इसका फैसला सरकार नहीं कर सकती है। यह फैसला एक न्यायिक निकाय करती है। उसका गठन करना होता है।
 
उन्होंने कहा कि यही एकमात्र तरीका है और यही सबसे छोटा तरीका भी है, यही सबसे सटीक तरीका भी है, जिस पर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
 
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि मैं सरकार में हूं और वायनाड को आरक्षित कर दूं तो? अगर मैं अमेठी को आरक्षित कर दूं तो? अगर मैं रायबरेली को कर दूं तो? कलबुर्गी को कर दूं तो।
 
उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट पर गांधी परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है। वायनाड से अभी राहुल गांधी सांसद हैं। इससे पहले वह अमेठी का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं।
 
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने वर्ष 2029 में प्रस्तावित कानून के लागू होने के नड्डा के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार चाहे तो इसे अभी लागू कर सकती है। उन्होंने हवाला दिया कि पंचायत कानून और जिला पंचायत कानून के तहत जब आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है तो इस मामले में क्यों नहीं।
 
नड्डा ने सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ तीन के ओबीसी समुदाय से संबंधित होने संबंधी दावे के लिए राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि आज जो अधिकारी सचिव बने हैं, वह 1990 के करीब भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए होंगे।
 
उन्होंने कांग्रेस पर काका कालेलकर रिपोर्ट और मंडल आयोग की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी को यह बताना चाहिए कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच केंद्र में ओबीसी समुदाय के कितने सचिव थे।
 
नड्डा ने कहा कि कांग्रेस के नेता ओबीसी की बात करते हैं जबकि भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूप में देश को ओबीसी समुदाय से पहला प्रधानमंत्री दिया। नड्डा की इस टिप्पणी पर कुछ नेताओं ने आपत्ति जताई और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के ओबीसी समुदाय से होने का जिक्र किया।
 
उन्होंने कहा कि आज केंद्र सरकार में 27 मंत्री ओबीसी से हैं, भाजपा के कुल 303 सांसदों में 29 प्रतिशत यानी 85 सांसद ओबीसी समुदाय के हैं, देश भर में भाजपा के 1358 विधायकों में 27 ओबीसी के हैं।

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