नैनीताल। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पिछले 3 सालों में लगातार कमी आई है। वर्ष 2017 में सबसे अधिक 4,442 श्रद्धालुओं ने कैलाश मानसरोवर के दर्शनों के लिए पंजीकरण कराया था जबकि इस साल 2019 में कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों की संख्या में काफी गिरावट आई है। यह संख्या घटकर 3,223 रह गई है। इस साल 3,223 पंजीकरण हुए हैं। इनमें 1,118 नाथुला के रास्ते जाने वाले श्रद्धालु भी शामिल हैं।
भारत और चीन के बीच पिछले 1981 से कैलाश मानसरोवर यात्रा संचालित की जा रही है। हर साल हजारों यात्री उत्तराखंड के लिपूपास दर्रा के रास्ते कैलाश के दर्शन के लिए जाते हैं। केंद्र सरकार की ओर से पिछले कुछ समय से नाथुला दर्रा को भी यात्रियों के लिए खोल दिया गया था।
गुरुवार को पंजीकरण का आखिरी दिन था। गुरुवार रात को 12 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए विदेश मंत्रालय की लाइन खुली थी। यात्रा संचालन कराने वाली एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम के यात्रा प्रबंधक जीएस मनराल ने बताया कि इस वर्ष यात्रा के लिए कुल 3,223 यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। इनमें 2105 पंजीकरण लिपूपास से होकर जाने वाले यात्रियों के हैं जबकि 1,118 पंजीकरण नाथुला के रास्ते होकर जाने वाले श्रद्धालुओं की ओर से कराए गए हैं।
इस संबंध में 15 मई को लॉटरी निकाली जाएगी। इसके बाद तय हो जाएगा कि इस वर्ष कौन से यात्री कैलाश के दर्शन कर सकेंगे?
उत्तराखंड के लिपूपास से सन् 1981 से यात्रा संचालित की जा रही है। इस वर्ष भी 12 जून से कैलाश यात्रा की शुरुआत हो जाएगी। पहला दल 12 जून को दिल्ली से रवाना होगा। लिपूपास के रास्ते से 18 यात्री दल कैलाश मानसरोवर जाएंगे। एक दल में अधिकतम 60 श्रद्धालु यात्रा कर सकेंगे।
इस वर्ष कैलाश यात्रा परंपरागत पैदल रास्ते से संचालित की जाएगी। इसी प्रकार नाथूला के रास्ते से भी 10 दल यात्रा पर जाएंगे। एक दल में अधिकतम 50 यात्री शामिल होंगे। अधिकतम 500 यात्री ही कैलाश के दर्शन कर सकेंगे।
विदेश मंत्रालय की ओर से पहले दल को 11 जून को हरी झंडी दिखा दी जाएगी। यात्री शाम को पहले पड़ाव अल्मोड़ा पहुंचेंगे। अगले दिन दल को अंतिम बेस कैम्प धारचूला के लिए रवाना कर दिया जाएगा। धारचूला बेस कैम्प से 54 किमी वाहन से सफर करने के बाद यात्रियों की अग्निपरीक्षा शुरू हो जाएगी। लखनपुर से यात्री पैदल पगडंडियों से गुजरते हुए मालपा-बूंदी-गूंजी व कालापानी होते हुए अंतिम लिपूपास पहुंचेंगे। यहां से यात्री चीन अधिकृत तिब्बत में प्रवेश करेंगे।
मनराल ने बताया कि इस वर्ष ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा हवाई सेवा के बजाय पैदल रास्ते से संचालित होगी। निगम की ओर से इस बार यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यात्रियों को ठेठ उत्तराखंडी व्यंजन परोसे जाएंगे, साथ ही सेहत से भरपूर बुरांश का जूस पिलाया जाएगा। यात्री इस दौरान व्यास घाटी के नैसर्गिक सौन्दर्य के अलावा ओम पर्वत के दर्शन भी कर सकेंगे।
जहां तक श्रद्धालुओं की संख्या का प्रश्न है, सन् 2017 में सबसे अधिक 4,442 श्रद्धालुओं ने कैलाश के दर्शन के लिए पंजीकरण कराया था। सन् 2018 में यह संख्या घटकर 3,687 हो गई। इस वर्ष 3,223 श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया है। इनमें लिपूपास के रास्ते से कैलाश जाने के लिए 2,105 श्रद्धालुओं ने जबकि नाथूला के लिए 1,118 यात्रियों ने पंजीकरण कराया है। (वार्ता)