नई दिल्ली। बाल मित्र समाज बनाने की तरफ अग्रसर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन (केएससीएफ) उत्तरप्रदेश सरकार के साथ मिलकर प्रयागराज कुंभ को बाल मित्र कुंभ बनाएगा। अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर 15 जनवरी से 4 मार्च तक किया जा रहा है।
फाउंडेशन ने सोमवार को बताया कि इस प्रसिद्ध आध्यात्मिक मेले में दुनियाभर के कोने-कोने से लोग हिस्सा लेने के लिए आते हैं। कुंभ में शाही स्नान करने और मेला देखने आने वालों में बड़ी तादाद बच्चों की भी होती है। इन बच्चों पर बाल दुर्व्यापारियों (ट्रैफिकर्स) की नजर होती है। इसके अलावा बहुत सारे बच्चे मेले में मां-बाप से बिछड़ जाते हैं। कुछ गुमशुदा बच्चे भी बाल दुर्व्यापारियों के हत्थे चढ़ जाते हैं।
गुमशुदा बच्चों को राज्य सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से उनके माता-पिता से मिलाने के लिए फाउंडेशन के कार्यकर्ता मेले में मौजूद रहेंगे जबकि बाल अधिकारों और दुर्व्यापारियों के बारे में लोगों जागरूक करने के लिए 'मुक्ति कारवां' की व्यवस्था की गई है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की साल 2016 की रिपोर्ट बताती है कि मानव दुर्व्यापार के जितने भी लोग शिकार होते हैं, उसमें बच्चों (18 साल की उम्र तक) की संख्या तकरीबन 60 फीसदी होती है। देश में हर घंटे में एक बच्चा ट्रैफिकिंग का शिकार हो जाता है जबकि हर घंटे में 7 बच्चे गायब हो जाते हैं।
गायब हुए बच्चे भी ट्रैफिकिंग का शिकार होते है और इन बच्चों को जबरिया मजदूरी, भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति आदि के लिए बेच दिया जाता है। बच्चों को ट्रैफिकर्स से बचाने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार कुंभ मेले में पर्याप्त कदम उठाए गए हैं।
गुमशुदा बच्चों को फाउंडेशन के कार्यकर्ता राज्य सरकार की मदद से उनके माता-पिता तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। राज्य सरकार और उसके महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मेले के विभिन्न स्थानों पर खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की है। फाउंडेशन सरकार के प्रयास में अपना पूरा सहयोग देगा।
उत्तरप्रदेश सरकार ने गुमशुदा बच्चों की पहचान के लिए मेले में कई जगह एलईडी और कियोस्क की व्यवस्था की है। गुमशुदा बच्चों को खोजने की त्वरित कार्रवाई के लिए आधुनिक तकनीक की भी मदद ली जाएगी। इसके लिए बाजाब्ते ऐप औेर वेबसाइट भी लांच की गई है।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक बिधान चंद्र के अनुसार मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2013 के कुंभ मेले में खोने वाले लोगों की संख्या 2 लाख 75 हजार हो गई थी। ये आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि कुंभ मेला बच्चों और महिलाओं के लिए जोखिमभरा है। पर्याप्त और समुचित सुरक्षा व्यवस्था के नहीं होने का ही नतीजा है कि मेले में लोग गायब हो रहे हैं।
इन चुनौतियों से निपटने और विशेषकर बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस बार मेले में फाउंडेशन की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। बच्चों और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से स्वयंसेवकों को नियुक्त किया गया है। ये स्वयंसेवक न सिर्फ खोए हुए बच्चों को ढूंढने का काम करेंगे बल्कि उन्हें उनके माता-पिता से भी मिलाने का काम करेंगे। ये स्वयंसेवक लोगों को बच्चों के मुद्दों के बारे में जागरूक भी करेंगे।
ट्रैफिकर्स पर खास नजर रखने और लोगों को बाल दुर्व्यापार के खिलाफ जागरूक करने के लिए प्रयागराज में भी फाउंडेशन की ओर से 'मुक्ति कारवां' को फिर से लॉन्च किया गया है। यह कारवां मेले के दायरे में घूम-घूमकर लोगों को बाल अधिकारों और बाल दुर्व्यापार के खिलाफ जागरूक करेगा।
'मुक्ति कारवां' एक सचल दस्ता है, जो गांव-गांव में घूमकर बाल दुर्व्यापार, बाल मजदूरी और बाल शोषण जैसी बुराइयों के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाने का काम करता है। इस दस्ते में करीब 10 से 15 नौजवान होते हैं। ये नौजवान नुक्कड़ नाटक, दीवार लेखन, जन-जागरण गीत, छोटी-छोटी बैठकों और सभाओं के जरिए बच्चों की खरीद-फरोख्त के कारोबार, बच्चों के यौन शोषण, उसे रोकने के उपायों और कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं।