भारतीय वायु सेना की ताकत से हर कोई वाकिफ है। 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान इंडियन एयर फोर्स (आईएएफ) ने अपनी पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान पर हमले की तैयारी कर ली थी। इसके अलावा भारतीय नौसेना ने भी वायु सेना के साथ कदम मिलाते हुए, कराची के बंदरगाह को ले लिया था निशाने पर परंतु जानिए ऐसा क्या हुआ कि यह हमला हो नहीं पाया।
इस हमले के न होने की वजह यह रही कि दोनों ही सेनाओं को तत्कालिन एनडीए सरकार से इस योजना को अंजाम देने का आदेश कभी मिला ही नहीं। अटल बिहारी वाजपेयी इस युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री पद पर थे। हमले के लिए आदेश देने के बदले, तत्कालिन कैबिनेट कमैटी ने 25 मई 1999 को आईएएफ के एयर चीफ मार्शल एवाय टिपनिस को कड़े आदेश दिए कि फाइटर जेट लाइन ऑफ कंट्रोल के उस पार किसी हालत में नहीं जाने चाहिए।
टिपनिस ने आगे होकर एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) के थोड़ा उस पार जाने की अनुमति मांगी थी। जिससे भारतीय हमला अधिक प्रभावी हो सके और पाकिस्तान आर्मी के कारगिल की चोटी पर होने से होने वाले लाभ को खत्म किया जा सके। साथ ही भारतीय आर्मी की मदद हो सके परंतु उन्हें यह अनुमति प्राप्त नहीं हुई। भारतीय एअर फोर्स सीमा के अंदर से ही जवाबी हमला कर सकी।