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पति से तलाक के बाद महिला ने हर महीने मांगा 6 लाख मेंटेनेस, भयानक तरह से भड़क गई जज, देखें Video

एक अन्‍य मामले में पत्‍नी ने मांगे 4 लाख रुपए

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (12:29 IST)
एक महिला ने कोर्ट में अपने पति से गुजारे भत्‍ते में इतनी मांग कर डाली कि जज का दिमाग भी हिल गया। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें मेंटेनेस मांगने वाली पत्‍नी पर जज भड़क गईं।
एक ऐसे ही मामले में एक पत्‍नी ने अपने वकील के जरिए 4 लाख रुपए मेंटेनेस मांगा। इस पर जज विवेक अग्रवाल ने पत्‍नी के वकील को बताया कि इतना वेतन तो हाईकोर्ट जज को भी नहीं मिलती। उन्‍होंने कहा कि मैं हाईकोर्ट जज हूं तो मुझे पता है कि इतनी सेलेरी तो जज को नहीं मिलती। बता दें कि पत्नी कोचिंग सेंटर चलाती है, उसके पास 23 लाख रुपये का म्यूचुअल फंड भी है, लेकिन वह गृहिणी होने का दावा करती है, लेकिन उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। बता दें कि यह दोनों वीडिया सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं।

जूते, कपड़े, चूड़ियां का खर्च : दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला के वकील उसके पति से 6 लाख रुपए मासिक गुजारा भत्ते की मांग कर रही है। महिला के वकील ने अदालत को बताया कि उसे जूते, कपड़े, चूड़ियां आदि के लिए 15,000 रुपए प्रति माह और घर में खाने के लिए 60,000 हर महीने लगते हैं।
महिला के वकील ने अदालत को बताया कि उसे घुटने के दर्द और फिजियोथेरेपी और अन्य दवाओं के इलाज के लिए 4-5 लाख रुपए की जरूरत है। सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि यह अदालती प्रक्रिया का शोषण है। जज ने आगे कहा कि अगर वह इतना खर्च करना चाहती है, तो खुद पैसे कमाना चाहिए।

क्‍या कहा जज ने : जज ने कहा, "क्या कोई इतना खर्च करता है? वो भी एक अकेली महिला जिस पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। अगर वह खर्च करना चाहती है, तो उसे कमाने दो। आपके पास परिवार की कोई और जिम्मेदारी नहीं है। आपको बच्चों की देखभाल करने की ज़रूरत नहीं है। आप यह सब अपने लिए चाहती हैं। आपको समझदारी से काम लेना चाहिए"

न्यायाधीश ने वकील से भी कहा कि वह उचित राशि लेकर आएं अन्यथा उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि भरण-पोषण या स्थायी गुजारा भत्ता दंडात्मक नहीं होना चाहिए और यह पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित करने के विचार पर आधारित होना चाहिए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पति के शुद्ध मासिक वेतन का 25% पत्नी को मासिक गुजारा भत्ता भुगतान के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि के रूप में निर्धारित किया है। हालांकि, एकमुश्त निपटान (Lump-sum settlement) का कोई मानक नहीं है। हालांकि, यह राशि आमतौर पर पति की कुल संपत्ति के 1/5वें से 1/3वें हिस्से के बीच होती है।
Edited by Navin Rangiyal

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