Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A पर आज सुनवाई, कश्मीरी अलगाववादियों ने दी धमकी

हमें फॉलो करें सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A पर आज सुनवाई, कश्मीरी अलगाववादियों ने दी धमकी
नई दिल्ली , सोमवार, 30 अक्टूबर 2017 (11:40 IST)
नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर को मिले विशेषाधिकार अनुच्छेद 35ए पर उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में सोमवार को अहम सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की एक विशेष बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी, जिसमें प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर शामिल हैं।
 
इस मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले राज्य में हालात तनावपूर्ण होते दिख रहे हैं, जहां तीन अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक ने एक संयुक्त बयान जारी कर लोगों से अनुरोध किया कि अगर सुप्रीम कोर्ट राज्य के लोगों के हितों और आकांक्षा के खिलाफ कोई फैसला देता है, तो वे लोग एक जनआंदोलन शुरू करें।
 
अलगाववादी नेताओं ने कहा कि राज्य सूची के कानून से छेड़छाड़ का कोई कदम फिलिस्तीन जैसी स्थिति पैदा करेगा। उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए एक साजिश रची जा रही है। अनुच्छेद 35ए में संशोधन की किसी कोशिश के खिलाफ राज्य के हर तबके के लोग सड़कों पर उतरेंगे।
 
अलगाववादी नेताओं ने कहा, 'हम घटनाक्रमों को देख रहे हैं और जल्द ही कार्रवाई की रूपरेखा और कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।' इन नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य में जनमत संग्रह की प्रक्रिया को नाकाम करने की कोशिश कर रही है। साथ ही पीडीपी को आरएसएस का सहयोगी बताया।
 
गौरतलब है कि अनुच्छेद 35ए भारतीय संविधान में एक 'प्रेंसीडेशियल आर्डर' के जरिये 1954 में जोड़ा गया था। यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां देता है। इसमें वहां की विधानसभा को स्थायी निवासियों की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है, जिससे अन्य राज्यों के लोगों को कश्मीर में जमीन खरीदने, सरकारी नौकरी करने या विधानसभा चुनाव में वोट करने पर रोक है।
 
इस कानून के खिलाफ दिल्ली स्थित एनजीओ 'वी द सिटीजन' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर इसे खत्म करने की अपील की थी। इस याचिका में कहा गया कि अनुच्छेद 35ए के कारण संविधान प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकार जम्मू और कश्मीर में छीन लिए गए हैं, लिहाजा राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सुरक्षा कारणों से बदला गया जेट एयरवेज का रास्ता